इस दौड़ती जिन्दगी मे, अपना ठिकाना कहाँ हैं,
खोया है जो कही भीड़ में, जाने वो आशना कहाँ हैं !!-
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वो खुद तपते धूप में जलकर, मिलों नंगे पैर दौड जाती थी,
माँ थी वो, जो आसमान चीर कर छाँव चुरा लाती थी,
रफ्तार भरी जिंदगी रेस मे, अकेला जब दिल खुद को पाता है,
मुझको वो माँ के आँचल का, ठंडक बहोत याद आता है !
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इमारत की खिड़की से, खुली आँख से इस शहर को जब देखता हूं,
करोड़ों की भीड़ में भी, तनहा ख़ुद को मैं पाता हूं!
मैं आज भी इश्क के किरायेदार से भरे इस बाज़ार में,
अपने आप को बचा लेने की जद्दोजहत मैं करता हूं !!-
हौसला नहीं छोड़ा हमने, पतवार थामें रक्खा ज़िंदगी के तूफ़ान में,
उसूलों से ना खिलवाड़ कभी, बिकते इन इमानों के बाज़ार में....!!-
" बरसों बाद आज तनहाई में, मन को टटोला तो, माज़ी में बिछड़े अपने आप से मुलाकात हुआ,
ख़ामोश थे लब बस जज्बातों का टकराव था, जैसे आँखों में कहीं बिन बादल तेज बरसात हुआ!"-
" बदलते जमाने के साथ हमने भी, कोशिश की कदम से कदम मिलाने की,
कभी गिरे मुंह के बल, तो कभी किया हौसला आसमानों से शर्त लगाने की !!"
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" कुछ कर दिखाने की हैसियत और जुनून हम में भी है,
जमीं पर बैठे हैं पर असमाँ को छुने का हौसला हम में भी है !"-
" तू एक नदी सी खिलखिलाती धारा, और मैं चुपचाप ठहरा किनारा,
मिल जायें कहीं किसी मोड पर जिंदगी के, बनकर एक दुजे का सहारा !"
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" बादलों का वो गहरा आलम और सर्द हवाओं का यूँ छु कर जाना,
शायद याद दिलाता है मुझको, तेरा वो बेबाक मुस्कुराना !!"-
" इक अधुरा खाँब, इक अधुरी प्यास, इन आँखों ना जाने है किसकी तलाश,
किसी मोड पर, फिर टकराना होगा अपने आप से, जब होगा खुद को पाने का एहसास!"
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