इस तरफ़ भगवा देखा उस तरफ देखा हरा
हर तरफ देखा मैने पर इंसान नही दिखा भला
धर्म ने आख़िर हमारी कॉम को क्या हीं दिया??
नेता को दी है कुर्सियां , अखबारों को अंधी सुर्खियां
अंजान चादर भेट की और खोखली मूर्तियां......
अमरीका बनना था बना पड़ा है सीरिया
खाने को रोटी है नहीं... बच्चा बिलख कर मर गया
इस सोमवार दूध दही माखन मधु नाली में जमकर सड़ गया...
मर रहा है एक समाज ठंडी में ठिठुर फुटपाथ पर
चादर चढ़ी है मखमली एक चौकोर काठ पर
मुल्क बांटा कम था क्या, बांटा है आज समाज को!!
ये क्या बनाएंगे सुनहरा कल?? जो बांट रहे हैं आज को...
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