जो आज में बात है, वो कल में कहां, थी ही नहीं।
हंस जो विचरता है अब नभ में, था वो भी जल में कहीं।
घटाएं आज श्याम श्वेत, पहले सी काली नहीं।
किंतु चेहरे की ये लालिमा, कल तलक आई न थी।
आज हूं मैं पूर्ण स्वच्छंद, मैं न रुकती हूं कहीं।
समय का ऐसा चक्र चला है, आकर्षक हूं कहलाई गई।-
जो हो न सका मां भारती का, वो किसी और का क्या होगा?
समस्त राष्ट्र ये देख रहा है, कौन, किस और झुकेगा।
देश से यदि प्रेम हो प्राणी, खुल कर करो प्रकट।
वरना अपना सा चेहरा लेकर, तुम जाओ यहां से निपट।
नहीं चाहिए ऐसे हीरो, जो देशहित में बोल न सकें,
चंद सिक्कों की खातिर, जो सच्चाई से जी न सकें।
मृत तुल्य है ऐसा जीवन, जीना ही बेकार है।
जो भारत का होना सका, वो ही तो गद्दार है...वो ही तो गद्दार है।-
Modi ji said :
Terror and talks won't go together
But, that's what I've been doing for the past 32 years.
I am terrorised and she's talking-
अंडा तोड़े हाथ में, लगे पाप की धूल।
अपने दम पर फूटे जब, जीवन दे अनमोल।-
स्थगित हुई सिंधु जल संधि, हाहाकार उस ओर मच गया,
आतंकी ने बिल के बाहर, सड़कों पर प्रदर्शन किया।
आतंक और जल, दोनों साथ न बह सकेंगे,
मासूमों के हत्यारे अब जीवित न रह सकेंगे।
शांति की बात को, दुर्बलता मानते चले थे वो,
त्योरियां चढ़ीं जब अपनी, थर थर कांप रहे हैं वो।
सैन्य मार से पहले, ये एक मात्र इशारा है
अब संसद भी तो बोल चुकी है, PoJK हमारा है।
छोटी मोटी मार से, उनको बात न ज्ञात हुई,
इस स्थिति को देखकर, सब शक्तियां भारत साथ हुई।
पांच खंडों में टूटेगा तू, शत्रु तेरा ये भविष्य है,
'मयंक' कतिपय कह रहा, ये चाणक्य का शिष्य है।-
कब तक शिथिल पड़ा रहेगा ये समाज
किंचित प्राण वायु प्रवाह भी दिखना चाहिए।
बहुत विक्रय किया पराया, हमने अच्छा जानकर
अपनी कर्मशाला का भी चक्र, गतिमान होना चाहिए।
उठो पार्थ, गांडीव संभालो, प्रत्यंचा टंकार दो
कबतक कर्म रथ पर तुमको, कृष्ण सहारा चाहिए?
वसुधैव कुटुंबकम्, ये उद्घोष कर्णप्रिय, अच्छा है
धर्मो रक्षति रक्षितः, ये स्मृति भी रहनी चाहिए।
मां भारती मुझसे कहे और कहती ये है बारम्बार
'मयंक', निशा तज, प्रलय को तो अब भय खाना चाहिए।-
वस्ल की रात का इंतज़ार
उनकी जान ले बैठेगा
होश में वो आज भी नहीं हैं
कल दीवाने का जनाज़ा भी उठेगा-
वो दौर कुछ और था,
ये कोई और ही दौर है।
न पीने को पानी होगा,
न अब रोटी का कौर है।
वो मौनियों का वक़्त था,
ये सिंह गर्जना कुछ और है।
वो दौर कुछ और था
ये कोई और ही दौर है।।-
Some "good mornings" are so painful
We wish, just because we care
Our hearts go out to those
Who stood the ground
So none would ever dare.
Wishes for peace are always made
With folded hands we pray
God grant strength to the fateful
Who lived to see this day.
Hopeful I am that this will end
Giving Ma Bharti some respite
Break the jaws of the mother of all
So that no teeth are left to bite.-