Mayank Bishnoi   (आजाद पंछी 'मयंक')
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Joined 10 September 2018


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6 APR 2023 AT 1:57

भजत राम का नाम सदा
बसते हृदय में बजरंगी
करने को धरा पर धर्म स्थापना
अवतरित हुए हैं बजरंगी
अधर्मियों का अंत करो
प्रभु न्याय करो मेरे बजरंगी
लाज दास की आप रखो
गुरु आप हमारे बजरंगी

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30 MAR 2023 AT 2:27

"माँ सरयू के किनारे, जय श्रीराम के जयकारे
अयोध्या धाम है सुगंधित, प्रेम पुष्पों के सहारे
अंत कर अधर्म का, राघव धर्म की पुकार हैं
संसार की हैं चेतना, राघव जगत के पालनहार हैं.. "

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23 SEP 2021 AT 23:37

"कविताओं को न झुकने दो
ये संग्राम अभी न रुकने दो
ठोकरों में ठहाके लगाते रहो
शब्दों के बाण बरसाते रहो
धधकता हुआ अंगार हो तुम
सभ्यताओं का श्रृंगार हो तुम
मैं सब कवियों से कहता हूँ
भावनाओं का भंडार हो तुम..."

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10 SEP 2021 AT 13:32

"संकल्पों के साथ अध्यात्म का दीप प्रज्जवलित करें
समय न गंवाए, सकारात्मक दिशा में श्री गणेश करें

कर्म करना हमारा धर्म है, धर्म को धारण करें
विघ्नहर्ता विघ्न हरेंगे, हम विघ्नों से क्यों डरें

बप्पा आ रहे हैं, आओ उनका भव्य स्वागत करें
कार्य सारे पूर्ण हो, मंगलगीतों से श्री गणेश करें

हमारे माता-पिता, बंधु-सखा बप्पा ही तो है
बप्पा के आगमन को, हर्षोल्लास से क्यों न भरें.."

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21 MAY 2021 AT 15:36

"फिर एक शाम मोहब्बत के नाम हो जाएं
ज़रा सुनो! एक कप चाय हो जाएं.."

-✍🏻आजाद पंछी 'मयंक'
#मयंकविश्नोई

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14 MAY 2021 AT 14:22

"विधर्मियों का काल,
वह धर्म का प्रचार है
ब्राह्मण कुल में जन्मे
श्रीहरि विष्णु के अवतार है
माँ रेणुका के लाल है
शिष्य हैं महादेव के,
भीष्म, द्रोण, कर्ण के
वह पूजनीय गुरूदेव है
वह शस्त्रों में निपुण
अत्यन्त बलवान है
शास्त्रों के ज्ञाता भी
वह ज्ञानी परशुराम है..."

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9 MAY 2021 AT 0:52

"आकाश जितनी आशाएं
हैं व्याप्त जो मन के भीतर
जीवन का अस्तित्व है माँ
एहसास हुआ जीवन जीकर..

माँ के होने पर सारे दुःख भी सुख है
माँ के बिना तो जीवन श्राप है..."

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30 APR 2021 AT 15:10

"सवालों के जवाब
जवाबों में सवाल
हर कोई पूछता है..

सवालों के नाम पर
बेफिक्री में हर कोई
बस जवाब ढूंढता है..."

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27 APR 2021 AT 15:58

"भटकते फिरें हम दिन-दोपहर
कभी किसी गली-कभी किसी शहर
गांव-देहात भी नाप दिया
कदमों ने कैसा पाप किया

सवाल दिखे एकांत वन में
जवाब मिले, शांत मन से..।

उलझनों में उलझते रहे
सवालों में सिकुड़ते रहे
विवादों में फंसते रहे
ज़माने से लड़ते रहे
न हाथ कोई खज़ाना लगा
न सुकून वाली साँसे रही

ज़ख्म लगे हजार तन पे
मरहम लगा, शांत मन से..."

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27 APR 2021 AT 10:30

"मन के गहरे जख्मों को
मेरे संग बीते लम्हों को
कहाँ तक छुपाओगे 'मयंक'
पलकों पर ठहरे अश्कों को

दर्द में ढंग से तुम्हें, रोना भी नहीं आएगा
नींद तो होगी आँखों में पर सोया नहीं जाएगा

होंठ सिल चुके होंगे,
हौसले हिल चुके होंगे
कहना चाहोगे पर कुछ कह नहीं पाओगे
बस करो! खुद को कहाँ तक छुपाओगे..."

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