मैं लिख़ने चला जब दास्ताँ अपनी,चार चीज़े साथ थीं -:कागज़ , क़लममैं और मेरा ग़म ।।🖤🖤 -
मैं लिख़ने चला जब दास्ताँ अपनी,चार चीज़े साथ थीं -:कागज़ , क़लममैं और मेरा ग़म ।।🖤🖤
-
खाली पड़ा है,मेरे पड़ोस का मैदान !एक मोबाइल बच्चों की गेंद चुरा ले गया।।🖤🖤🙃 -
खाली पड़ा है,मेरे पड़ोस का मैदान !एक मोबाइल बच्चों की गेंद चुरा ले गया।।🖤🖤🙃
कुछ अधूरी ख्वाहिशें है मेरी,जिन्हें पूरा करना है।मुझे एक बार फिर से,उससे इश्क़ करना है।।🖤🖤 -
कुछ अधूरी ख्वाहिशें है मेरी,जिन्हें पूरा करना है।मुझे एक बार फिर से,उससे इश्क़ करना है।।🖤🖤
एक इशारे पे सरेआम हो जाऊं,अगर मैं राम का हो जाऊं तो,चारों धाम का हो जाऊं ।उस एक नाम का हो जाऊं तो,किसी काम का हो जाऊं ।।🧡🧡 -
एक इशारे पे सरेआम हो जाऊं,अगर मैं राम का हो जाऊं तो,चारों धाम का हो जाऊं ।उस एक नाम का हो जाऊं तो,किसी काम का हो जाऊं ।।🧡🧡
मेरी अल्हड़-सी ज़िन्दगी की,एक वो ही कश्ती हैं।मेरी जान तो, " मेरे राम " में बसती है ।।🧡🧡 -
मेरी अल्हड़-सी ज़िन्दगी की,एक वो ही कश्ती हैं।मेरी जान तो, " मेरे राम " में बसती है ।।🧡🧡
ज़नाब...ये तो हीमोग्लोबिन की गुस्ताख़ी है।वर्ना कट्टर हिन्दू के तो,लहू का रंग भी " भगवा " होता ।।🧡🧡 -
ज़नाब...ये तो हीमोग्लोबिन की गुस्ताख़ी है।वर्ना कट्टर हिन्दू के तो,लहू का रंग भी " भगवा " होता ।।🧡🧡
ऐसे तो सैंकड़ो किताब के हज़ारों पन्ने पढ़े है। लेकिन कद्र नहीं की उनकी,जो मेरे साथ खड़े है।।🖤🖤 -
ऐसे तो सैंकड़ो किताब के हज़ारों पन्ने पढ़े है। लेकिन कद्र नहीं की उनकी,जो मेरे साथ खड़े है।।🖤🖤
सुनों...चाँद-सूरज सा रिश्ता है,उसका-मेराएक ही आसमान में रहकर भीमिलने के मोहताज है।।🖤🖤 -
सुनों...चाँद-सूरज सा रिश्ता है,उसका-मेराएक ही आसमान में रहकर भीमिलने के मोहताज है।।🖤🖤
कुछ लोग मसरूफ़ है!कुछ शब्द मसरूफ़ है! यही कारण है कि...न मुलाक़ातें पूरी हो रही है औरन ही अफ़साने।।🖤🖤 -
कुछ लोग मसरूफ़ है!कुछ शब्द मसरूफ़ है! यही कारण है कि...न मुलाक़ातें पूरी हो रही है औरन ही अफ़साने।।🖤🖤
दोस्तों...सिलसिला कुछ यूँ चल रहा है...मेरे लिखने का कि,कभी शब्दों की सुनामी आ जाती है तो,कभी शब्दों का अकाल-सा पड़ जाता है ।।🖤🖤 -
दोस्तों...सिलसिला कुछ यूँ चल रहा है...मेरे लिखने का कि,कभी शब्दों की सुनामी आ जाती है तो,कभी शब्दों का अकाल-सा पड़ जाता है ।।🖤🖤