Mayank Awadhwal  
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Joined 3 January 2019


Joined 3 January 2019
12 DEC 2020 AT 18:09

मैं लिख़ने चला जब दास्ताँ अपनी,

चार चीज़े साथ थीं -:

कागज़ , क़लम

मैं और मेरा ग़म ।।
🖤🖤

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12 DEC 2020 AT 18:05

खाली पड़ा है,

मेरे पड़ोस का मैदान !

एक मोबाइल बच्चों की गेंद चुरा ले गया।।

🖤🖤🙃

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12 DEC 2020 AT 18:01

कुछ अधूरी ख्वाहिशें है मेरी,
जिन्हें पूरा करना है।

मुझे एक बार फिर से,
उससे इश्क़ करना है।।
🖤🖤

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19 NOV 2020 AT 23:04

एक इशारे पे सरेआम हो जाऊं,

अगर मैं राम का हो जाऊं तो,
चारों धाम का हो जाऊं ।

उस एक नाम का हो जाऊं तो,
किसी काम का हो जाऊं ।।

🧡🧡

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19 NOV 2020 AT 13:33

मेरी अल्हड़-सी ज़िन्दगी की,

एक वो ही कश्ती हैं।

मेरी जान तो, " मेरे राम " में बसती है ।।

🧡🧡

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17 NOV 2020 AT 17:35

ज़नाब...

ये तो हीमोग्लोबिन की गुस्ताख़ी है।

वर्ना कट्टर हिन्दू के तो,
लहू का रंग भी " भगवा " होता ।।

🧡🧡

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29 OCT 2020 AT 23:24

ऐसे तो सैंकड़ो किताब के
हज़ारों पन्ने पढ़े है।

लेकिन कद्र नहीं की उनकी,

जो मेरे साथ खड़े है।।
🖤🖤

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29 OCT 2020 AT 23:21

सुनों...
चाँद-सूरज सा रिश्ता है,
उसका-मेरा

एक ही आसमान में रहकर भी
मिलने के मोहताज है।।
🖤🖤

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28 OCT 2020 AT 23:10

कुछ लोग मसरूफ़ है!
कुछ शब्द मसरूफ़ है!

यही कारण है कि...

न मुलाक़ातें पूरी हो रही है और
न ही अफ़साने।।
🖤🖤

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28 OCT 2020 AT 23:04

दोस्तों...
सिलसिला कुछ यूँ चल रहा है...
मेरे लिखने का कि,

कभी शब्दों की सुनामी आ जाती है तो,

कभी शब्दों का अकाल-सा पड़ जाता है ।।
🖤🖤

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