Maya Tripathi  
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Joined 25 April 2020


Joined 25 April 2020
15 MAR 2023 AT 13:37

न जाने क्यूँ, बहुत याद आते है वो पल
जब तुम्हारे साथ,वक़्त के फासले के साथ
हम भी थोड़ा वक्त बिताये थे।

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15 FEB 2023 AT 19:45

कभी जिंदगी की राहें हो मुश्किल
वफ़ा जो किये हो,इस भू धरा पर।
लौटेंगी खुशियाँ बन के वो मुश्किल
सोचो कभी,न ,कुछ भी ग़लत हो
कर लो  वो स्वीकार  तुम ,खुद स्वयं ही।
राहें हो आसान इस ज़िन्दगी की
गर मन हो सच्चा, प्यारा सा बच्चा
ग़म भी खुशी में बदल देगा एक दिन।
जीवन अगर है अंत भी उसका
इसका न डर हो ख़्वाबों  में जीओ।
मस्ती के मौजों को दिल  में समेटो
जो भी मिला है खुदा का दिया है।
तोहफ़ा वो समझो अपने नसीब का।
अगर ज़िन्दगी छोटी भी पड़ जाए
न रहने पे तेरे ,रोये ये दुनियां।
पल पल जिओ तुम खुश रह जिओ तुम
खुद को अमर कर जाना धरा से ।
ओस की बूँद सी,बिखर कर जिओ तुम
कभी ज़िन्दगी की राहें हो मुश्किल।

माया त्रिपाठी स्वरचित
शीर्षक-नेक सोच




 

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10 FEB 2023 AT 20:31

मेरा सबसे प्यारा  है तू
सबके दिल का दुलारा है तू।

सारे जग की खुशी मिले
यही तमन्ना माँ की तेरे।
तुम पर रहे आशीष बड़ो का
जग में रोशन नाम करे तू

मेरे सर का ताज़ बने तू।
जितनी चाहत मन की मेरे
तुझसे वो सब पूरी हो जाय
सारे अँधेरे मिट  जायें

सबके मन का प्रकाश बने तू।
सबके दिल पर राज करे तू।
अपने गुण अवगुण का तू
नीर-छीर का विवेक रखे तू।

सदा बड़ो का आदर करना
गुरू आशीष बना कर रखना।
माँ के मर्यादा का भी
जीवन का संकल्प समझना ।

तेरी माँ

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7 FEB 2023 AT 22:50

इल्म की शमा से,मोहब्बत है सबको यारो
क्यूँ उजालों की तरफ भागते है हर मुसाफ़िर।
राहें मंजिल दिखाता है ,अंधेरों की चमक
अंधेरा सोचने को देता है ,अपनी वो मंज़िल।
मंज़िले पास आई है तो अंधेरा ही वजह
अंधेरों को कोसना करो कम तुम ,ऐ मुसाफ़िर।
आँख बंद होती तो ,आते है ख़्वाबों का ख़याल
लोग कहते है ,बन्द आँखों के सपनो में चमक
इल्म गुलज़ार होती है ,अंधेरों की चमक में।
कोई खौफ़ ,आप को डरायेगा अगर
कर लो तुम बन्द आँख, बस उजाले ही उजाले। 
अँधेरा देता है रोशनी को एक,नया कदम
जिस कदम पर ,कभी छोटा सा कांटा न चुभे।
अँधेरा वक़्त को ,उजालो में बदल देता है
जब कोई साथ न हो ,आप के साये के साथ
अँधेरा हर कदम कदम पे साथ देता है।
माया त्रिपाठी
स्वरचित-मालिक
शीर्षक-अंधेरा

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6 JAN 2023 AT 16:21

जो लोग ये समझते है कि

उनको ज्यादा तबज्जो दे  रहे है?

उनकी कदर करना छोड़ देते है ?तो

वो गलत है,कही न कही वो ,

अपने किसी शुभ चिंतक को खो देते है

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15 OCT 2021 AT 20:18

ठहर,ऐ जिंदगी,तुझसे भी तो प्यार है,
अपने लिए न सही,अपनो से भी प्यार है।।
समर्पित कर दूंगी तुझको काल के हवाले
गर अपनो के माया से,दिल से दिल का,तार न जुड़ा होता।।
बाकी है अभी बहुत  अधूरे से काम
पूरा करके आती हूँ, कुछ दिन बाद तुझसे मिलने।।
नाराज न हो ऐ जिंदगी,तेरे इम्तहानों से भी तो प्यार है
थोड़ी रुसवाई है,कुछ तनहाई भी है।।।
हँसते हँसते तेरा साथ छोड़ू, 
चेहरे पर एक मुस्कान तो आ जाने दे।
तमन्नाएं बहुत है ख़्वाहिशें भी बहुत है 
पर क्या करूँ उम्मीदे कहाँ पूरी होती है सबकी।
कुछ दिन ठहर,तेरा हाथ पकड़ कर तेरे साथ चलूंगी
तेरे साथ किये हर वादे को, तेरे साथ निभाऊंगी
बन कर तेरा हमसफ़र, अनजान राहों पर भी चलूंगी।।।।।
माया त्रिपाठी स्वरचित। मौलिक
शीर्षक ज़िन्दगी।।

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23 SEP 2021 AT 22:23

हम तेरे शहर में,तुझे ढूंढ़ने की तमन्ना लेकर आये
तू तो निकला बेवफ़ा,खुद के शहर से बेशहर हो गया।
तेरे शहर की हवाओ में भी तेरे रहने का एहसास मिला
बिखरी इन फ़िज़ाओं में भी, इज़हारे प्यार,का एक सफर देखा।
उन आंसमा के नीचे,बैठे,बीते उन पल को जिया।
बस तू नही, तेरी यादों की परछाईया, संग मेरे चलती रही।
अकेले थे बस अकेला,रहने नही दिया तू।
छोड़ कर सब यादें यूँ खामोश,हम भी बेशहर हो जाये।
फिर हममें तुझमे फर्क क्या बेवफ़ा हम भी तो हुए।।

माया त्रिपाठी
शीर्षक  तमन्नाओ का शहर
मौलिक,स्वरचित




 






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30 AUG 2021 AT 22:45

भादौ की रात आई,घटा घनघोर छाई
जन्म लियो नंद लला,कंस के कारावास में।
प्रभु की अनंत छठा, देव सुर लोक आये
देने बधाई श्याम,मंगल की धुन छाई
लोक धन-धान्य हुआ,नंद के नंदन हुए।
देवकी के सुत हुए,यशोदा के लाल हुए
करने उद्धार आये,असुरन का नाश किये
द्वारिकाधीश हुए,ईश देवलोक के।
समस्त ब्रह्माण्ड में,बजे बधाई श्याम
अंधियारी रात में यमुना के नीर में
दामिनी के बीच में आया प्रकाश नया
जन्म लिए नन्द लला,घोरअंधियारी रैन।।

माया त्रिपाठी
शीर्षक,,नंद लला
स्वरचित मौलिक

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1 JUL 2021 AT 18:49

नयनो से नयनो की भाषा नयना ही जाने
नयनो में क्या दर्द भरा है,नयना ही जाने।
खामोशी हो,पीड़ा हो भावो के सरिता का बहना,
बस नयना ही जाने।
दुख के सैलाबों को सहना, बस नयना ही जाने।।
कभी दर्द का अश्रु बहाने,कभी खुशी की बूँद गिराने
नयनो के भावों को बस नयना ही जाने।
परपीड़ा हो,स्वपीड़ा हो,मन के इस बढ़ते पड़ाव को,
बस नयना ही जाने।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
नयनो की भाषा संवेगो से,जन्मी है पीड़ा से बन कर
बहती है वो अश्रु के जल में,ये सारी परिभाषाये, 
बस नयना ही जाने।।।।।।।।।।।
नयना जो कुछ कहती है,बस नयना ही जाने।
सारे भावो का रूप है  नयना, मन के एक खुली किताब का
एक बहुमूल्य सार है नयना।।।।।।।।।।।माया त्रिपाठी
शीर्षक,,नयनो के भाव,,,,,,स्वरचित



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27 JUN 2021 AT 16:41

ज्वालाओं सी जलती है,तपती है ये जिंदगी
रेत की भांति फिसलती है खिसकती है ये ज़िन्दगी।
अनुभव को ये लिखती,है,कविता सी ये जिंदगी
मौन सी होकर रहती है,कड़वी मीठी जिंदगी।
कभी उमंगे होती इसने,कभी तपन की ज्वालाओं सी
खिलती है,झुलसती है,ये तरंग सी जिंदगी।
सपनो के संग उड़ती है,ये पतंग सी जिन्दगी।
वैरागी सी,अनुरागी सी लगती है ये जिनदागी
हृदय द्वार से स्वागत करती,करुणा का ये भाव लिए
ये तर्पण सी जिंदगी।
मधुरिम,अभिलाषाओं, सी ये,चलती फिरती जिंदगी।
माया त्रिपाठी,,स्वरचित,मौलिक
शीर्षक,, जिंदगी

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