नयनो से नयनो की भाषा नयना ही जाने
नयनो में क्या दर्द भरा है,नयना ही जाने।
खामोशी हो,पीड़ा हो भावो के सरिता का बहना,
बस नयना ही जाने।
दुख के सैलाबों को सहना, बस नयना ही जाने।।
कभी दर्द का अश्रु बहाने,कभी खुशी की बूँद गिराने
नयनो के भावों को बस नयना ही जाने।
परपीड़ा हो,स्वपीड़ा हो,मन के इस बढ़ते पड़ाव को,
बस नयना ही जाने।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
नयनो की भाषा संवेगो से,जन्मी है पीड़ा से बन कर
बहती है वो अश्रु के जल में,ये सारी परिभाषाये,
बस नयना ही जाने।।।।।।।।।।।
नयना जो कुछ कहती है,बस नयना ही जाने।
सारे भावो का रूप है नयना, मन के एक खुली किताब का
एक बहुमूल्य सार है नयना।।।।।।।।।।।माया त्रिपाठी
शीर्षक,,नयनो के भाव,,,,,,स्वरचित
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