Maya Kumari   (Maya#)
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Maya Kumari
Joined 12 July 2020


Maya Kumari
Joined 12 July 2020
30 JAN 2022 AT 13:21

Maya— % &

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28 JAN 2022 AT 15:52

कागज कलम के सँघतिया बना के
होठबा के सी रहल बानी

मन होला कबो की मर जाइ  ए करेजा
ना जी पाइ तोहरा बीन कबो

आपन शायरी में तोहरा के शामील करके
खुदमें खुद से जी रहल बानी

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28 JAN 2022 AT 9:54

सरहद के उस पार अपना सा कोइ घर होता!!
कुछ अजनबी सी खुशियां ,कुछ सना सा गम होता!!

थोड़े पराए से अपने कुछ अपनों से पराए होता!
जब अपना ना अपने हुए तो पराए क्या ही अपना होता!!— % &

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26 JAN 2022 AT 22:35

कुछ नशा है तिरंगे का वे तिरंगे के लिए जीते हैं!
वक्त आने पर अपने लहू से तिरंगे को सीचते हैं!!

हम रहे स्वतंत्र रूप से हर वक्त यहां वहां या जहां!
बर्फीली सर्द हो या गर्म झोंका की  बहती हवा!!

अपने वतन के खातिर अपनों से रहते दूर वहां!
ताकी  तिरंगे की बनी रहे हर वक्त शान  यहाँ!!
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25 JAN 2022 AT 22:47

सर्कस दिखाने का हमें शौक नहीं साहब!
बस गरीबी और भूख हमें जीने नहीं देती!!— % &

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19 OCT 2021 AT 8:05

रोज जलती हूं थोड़ी-थोड़ी,पर राख नहीं होती
कुछ अधूरे ख्वाब है जो बुझने पर भी खाक नहीं होती

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30 SEP 2021 AT 16:51

कुछ कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है

विश्वास नहीं तो देखो

फल की आश में फुल को भी मरना पड़ता है

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18 JAN 2022 AT 21:24

Maya

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16 JAN 2022 AT 12:05

गरीब मजहब नही भुख जानता हैं
जो भुख बुझाए, उसे रब मानता हैं

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12 JAN 2022 AT 9:32

यादों के सफर में मुसाफिर मैं बन बैठा"
करीब था जो मेरा अपनो में सबसे अपना!!

क्यु भरोसा करूं मैं अब किसी और पर.....
जो था कभी अपना किसी ओर के बन बैठा!!

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