Mausam Kumravat   (Mausam Kumravat)
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Joined 7 February 2018


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Joined 7 February 2018
30 OCT 2020 AT 21:46

श्वेत किरणें शशि की बिखरने लगी,
रात पूनम की पल-पल निखरने लगी,
सांवरा मेरा मुझको जब आया नज़र,
प्रेम में उसके मैं तो सँवरने लगी।
- मौसम कुमरावत

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14 SEP 2020 AT 16:03

हिन्दी दिवस विशेष :

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6 AUG 2020 AT 12:18

9 JUL 2020 AT 21:05

गीत गाता रहा, गुनगुनाता रहा,
अपनी ग़ज़लों से सबको लुभाता रहा,
जग ये देता रहा दाद हर शे'र पर,
मैं व्यथा अपने मन की सुनाता रहा।
~©मौसम कुमरावत

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3 JUL 2020 AT 1:06

मुक्तक :

जब तेरे नाज़ुक होंठों पर अपने होंठ सजाए थे,
चाँद, तारें नभ के सारे तुझमें नज़र मुझे आए थे।
हौले से हाथों से अपने हाथ जो तुमने थामे थे,
तब मेरे दिल ने ज़ोरो से ढोल-मृदंग बजाए थे।
~ ©मौसम कुमरावत

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1 JUL 2020 AT 16:40

मंदिर-मस्जिद, गिरजा भी बंद होते देखे है हमने,
मसाइब के इस दौर में चारागर रब और पीर है।
~ ©मौसम कुमरावत

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28 JUN 2020 AT 9:49

ज़रुर हवाओं ने मिलकर साज़िश की है कोई,
एक जगमगाता चिराग़ खुद यूँ ही नहीं बुझता।
~ ©मौसम कुमरावत

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16 JUN 2020 AT 11:57

#मुक्तक :

है मुखौटे कई, कितने किरदार है,
दे जो हिम्मत सभी को वो भी लाचार है,
दुःख का सैलाब हो दिल में फिर भी मगर,
जो जगत को हँसाए वो ही कलाकार हैं।
~ ©मौसम कुमरावत

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14 JUN 2020 AT 20:30

ये कैसा कहर आज टूटा ज़मीं पर,
ज़मीं का सितारा, आसमाँ को प्यारा हो गया।
~ मौसम

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12 JUN 2020 AT 8:54

ढली है शब तो सवेरा भी होगा,
आज है तेरा तो कल मेरा भी होगा।

सुनी पड़ी है शजर की जो शाखें,
चिड़ियों का उनपे बसेरा भी होगा।

बन जाते है आशिक़ मोहब्बत में जुगनू,
ख़बर है कि राहों में अंधेरा भी होगा।

शिकारी ही खुद अब शिकार हो गया,
नावाक़िफ़ था जंगल घनेरा भी होगा।

करता है तैर कर पार जो दरिया,
तूफ़ान ओ तलातुम ने उसे घेरा भी होगा।

आस्तीन के साँपों को ख़बर नहीं 'मौसम',
जिसे बैठें हैं डँसने, वो सपेरा भी होगा। ~ ©मौसम कुमरावत

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