Mausam Choudhary   (Mausam choudhary)
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जो हमें समझ ना सके उन्हें हक है हमें बुरा समझने का 😊
Joined 13 May 2021


जो हमें समझ ना सके उन्हें हक है हमें बुरा समझने का 😊
Joined 13 May 2021
10 AUG 2023 AT 7:34

रुककर वो मेरे पास बैठा है
यही सच है बाकी सब झूठा है
उसके आने से जिंदगी ऐसे महक उठी
मानो मुरझाया फूल खिल उठा है।

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22 APR 2022 AT 0:07

बीत रहे वक्त में कोई
अफसाना सा लगने लगी थी
खुद की ही महफिलों में
बेगाना सा लगने लगी थी
एक अजीब उलझन लिए थी दिल में
फिर आपकी याद आई...
अच्छा लगा 😊

क्या बताऊं किसे बताऊं
किस किस को क्या जबाब दूं
औरों की शिकायत इतनी मुझसे
उनके टाइमपास का एक
बहाना सा बनने लगी थी
बदल चुकी थी खुद को इतना कि
खुद से मिलने से ही डरने लगी थी
छोड़ जाते साथ जहां एक गलती पर
फिर आपने साथ दिया....
अच्छा लगा 😊

शब्दों से भी समझ ले कोई हमें
ये मुमकिन तो ना था
लफ्जों में बयां करदे इन जज़्बातों को
लफ्जों में वो बात कहां
पर आपने हमारी खामोशी समझी...
अच्छा लगा😊




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19 APR 2022 AT 20:58

तुम्हारी सोच इतनी प्यारी ना होती
तो मुलाकात तुमसे हमारी ना होती
ये दोस्ती अच्छी और सुकूनभरी ना होती
गर चाहत थोडी हमारी और तुम्हारी ना होती

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22 JAN 2022 AT 11:24

इस दरमियां.....
खुद की खुद से मुलाकात होती है
अपने हुनरों से कुछ बात होती है
अपने बिखरे हुए ख्याबों से
एक पूरी तस्वीर बनती है
अपने अकेले कदमों से
बड़े सफर की मंजिले तय होती है
चांदनी रात में चांद से गुफ्तगू करना
एक अलग सा सुकून देता है वहां
जहां पास है सभी साथ नहीं कोई
लोगों की सोच की कैद से अलग
अपनी एक राह लेना सिखा देता है
लेता है थोड़े समय तक कुछ
लौटा कर बहुत कुछ दे देता है
अकेलापन एक शाप:
जब वरदान बन जाता है!!!!!!!!!!!!!!!!

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22 JAN 2022 AT 11:08

शाप: एक वरदान
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इस रंगीन दुनिया से परे
एक बैरंग दुनिया बसा लेता है
जहां सिर्फ खुद से बातें करना
किसी कोने में दुबक
अपने आंसुओं को रिहा कर आना
और फिर अपनी खुश्क आंखों में
आंसुओं की महक लिए...
कागज और कलम को
अपना हमदर्द बना लेता है
अकेलापन सिखा देता है...
एक समय पर सबसे वफादार दोस्त
और सबसे बड़ा दुश्मन बन जाता है
वह अकेलापन एक शाप बन जाता है!!!!

एक उलझा सा लगा रहता है
कुछ सुलझाने..
कि मुस्कुराते लबों से
कोई उसकी तन्हाई जान ले
जो घुल रही थी बहुत तेजी से
उसकी थोड़ी खुशियों में
इस कद्र कि
महफिल में शरीक होकर भी
वह शामिल नहीं हो पाता है
जो छूटे ना ऐसा नशा बन जाता है
वह अकेलापन एक शाप बन जाता है

मगर इस दरमियां...........💁💁💁💁💁💁next page 😊

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22 JAN 2022 AT 9:41

इस बारिश के मौसम में अजीब सी कशिश है
ना चाहते हुए भी कोई शिद्दत से याद आता है

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1 NOV 2021 AT 11:20

आजकल अपना ज्यादा समय
अपने साथ ही बिताती हूं
ऐसा नहीं कि उस समय भी
दूसरे नहीं होते मेरे साथ
मेरी यादों में, मेरी चिंताओं में
या मेरे सपनों में,
वे जब तकमैं चाहूं मेरे साथ रहते
और मुझे अनमना देखकर
चुपचाप कहीं और चले जाते हैं

कभी कभी टहलते हुए निकल जाती हूं
बाहर भीड की तरफ भी
नहीं लोगों से मिलने नहीं
सिर्फ देखने के लिए कि इन दिनों
क्या चल रहा है, किस किस्म का
लोगों की सोच में आजकल

वैसे सच तो यह है कि मेरे लिए
भीड वाली एक ऐसी जगह है
जहां मैंने हमेशा पाया है
एक ऐसा अकेलापन
जो मुझे पहाड़ों पर भी ना मिले
और एक खुशी
कुछ बाजार की तरह
कि इतनी ढेर सी चीजें
जिनकी मुझे कोई जरूरत नहीं
शायद!

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28 OCT 2021 AT 21:21

कुछ अनकहे अल्फाज मेरे अंदर
जैसे कोलाहल कर रहे हों
उन्हें भी रिहा होना हो
मेरी तरह उन जंजीरों से
जिन्होंने अदृश्य रूप से जकड़ रखा हो
हां वो गलत है जानती हूं मैं
फिर भी उन अंगारों पर दौड़ी जाती हूं
बिना दर्द की परवाह किए
नहीं उससे कुछ पाने नहीं
बस एक उम्मीद में कि
कभी तो समझेगा वो मेरा दिल

एक अजीब सी मुश्किल में हूं मैं
एक सवाल मेरे आत्मविश्वास पर
मानो उंगलियां उठा रहा हो
बगैर मेरी और मेरे अपनों की इजाजत के
मेरी यादों में, मेरे सपनों में, मेरी हंसी में, मेरी उदासी में, मेरी तन्हाई में, मेरे पलकों से गिरे हर आंसू में
उसका शामिल होना
क्या सही है?
या कोई सजा....
जिसकी खता से मैं अनभिज्ञ हूं
और अगर खता नहीं तो सजा क्यों?
यदि सजा है तो खता क्या?
उलझी रहती हूं कुछ ऐसे ही सवालों में
बस इसी उम्मीद में कि
कभी तो समझेगा वो मेरा दिल

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15 SEP 2021 AT 23:30

ये मुस्कुराहट भी चहरे पर जरूरी है
जुस्तजू किसी कहानी की अभी अधूरी है
मौसम बेअसर हो रहा है मौसम पर
वहां उसका हारना भी उसकी मजबूरी है

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8 SEP 2021 AT 17:18

Rajasthan

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