Matsya Lekhika   (Matsya लेखिका)
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Joined 30 June 2020


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Joined 30 June 2020
5 MAY 2022 AT 18:31

कुछ लिख कर रख दू
आज कुछ कल की बाते
कुछ जो बीत गई और कुछ जो रह गई
फिर कभी इन लिखी बातों को
इन लिखे काले पन्नो को
एक दिन फिर से पढ़ लूंगी
जो कभी लिखी थी मैने उन पन्नो को फिर एक दिन
दोहरा उनको लूंगी,

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6 OCT 2021 AT 22:22

कुछ ख्वाब देखे
जो अधूरे है अभी
वो ख्वाब जो पूरे
तो होगे कभी
वो ख्वाब जो
हकीकत होगे कभी।।

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7 JUL 2021 AT 19:02

सर जमी जो तूने यहां बनाई थी , तेरी शोहरत की कायल इस कायनात की हर चीज पे तेरी खुमारी छाई थी , मिटते नही परवाने तेरे जैसे अब तक कायनात तेरी यहां रही । अब खुदा को भी तेरी कमी खल आई थी | अब तक रोशन तूने किया इस जहां को अब जन्नत को तेरी याद आई थी

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29 JUN 2021 AT 0:05

दरख़्त सी है ये जिंदगी
जितना सीचोगे
उतनी बढ़ेगी ।।

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23 JUN 2021 AT 10:50

इश्क की जगह अजमाइश ने लेली
चाहत की जगह नुमाइश ने लेली
और वो कहते थे उनको सच्ची
मोहोब्ब्त थी उनसे ।।

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19 JUN 2021 AT 15:13

हर मर्तबा भूल जाया करते थे
उनकी गलती को कभी दिल से ना लगाया
ये भूलने का सिलसिला इस कदर
शुरू हुआ की अब उसमे हम भी शामिल
थे , याद जिसको हमे रखना था भूल हमे वो भी
गए , भूल थी हमारी उनको यूं भुलाकर गले लगाने की ।।

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16 JUN 2021 AT 20:26

जब भी कुछ लिखने बैठे
ना जाने क्यों मन भर आता है
अल्फाज सोचूं कुछ और
दिल बस आह को आता है
पिड ना जाने कौन सी दिल
को चुभे जाती है ये दर्द मै लिखती
नही इस दिल को ना जाने कौन सी
बात याद आती है ।।

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16 JUN 2021 AT 20:19

ना जाने मेरे अल्फाज कही गुम है
खोज रही हु उनको ना जाने
कब से सुन है, हर रोज खोजती हूं
कभी तो वापस आना , तुम मेरी जिंदगी
के वो आशिक हो जिसे मैं ताउम्र चाहूंगी
तेरी गुमशुदगी में भी तुझे हर पल याद आऊंगी ।।

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9 JUN 2021 AT 21:29

वो इतिहास के पन्ने जो मैने
सिर्फ पढ़े नही
अनुभव भी किए है
मेरे लिए वो खंडर नही
वो बोलती हुई और गूंजती
हुई कहानी है जिन्हे सुनते हुए
मैं उन तक पहुंच जाया करती थी ।।

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9 JUN 2021 AT 14:18

अल्फाजों की कमी सी महसूस होती है
लिखूं तो लिखूं क्या
अब तो कलम भी खाली सी महसूस होती है
शायद ये कमी कलम की नही ,
मेरी तनहा जिंदगी की है
जो बस अब खाली ही खाली सी महसूस होती है

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