कुछ लिख कर रख दू
आज कुछ कल की बाते
कुछ जो बीत गई और कुछ जो रह गई
फिर कभी इन लिखी बातों को
इन लिखे काले पन्नो को
एक दिन फिर से पढ़ लूंगी
जो कभी लिखी थी मैने उन पन्नो को फिर एक दिन
दोहरा उनको लूंगी,-
कुछ ख्वाब देखे
जो अधूरे है अभी
वो ख्वाब जो पूरे
तो होगे कभी
वो ख्वाब जो
हकीकत होगे कभी।।-
सर जमी जो तूने यहां बनाई थी , तेरी शोहरत की कायल इस कायनात की हर चीज पे तेरी खुमारी छाई थी , मिटते नही परवाने तेरे जैसे अब तक कायनात तेरी यहां रही । अब खुदा को भी तेरी कमी खल आई थी | अब तक रोशन तूने किया इस जहां को अब जन्नत को तेरी याद आई थी
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इश्क की जगह अजमाइश ने लेली
चाहत की जगह नुमाइश ने लेली
और वो कहते थे उनको सच्ची
मोहोब्ब्त थी उनसे ।।-
हर मर्तबा भूल जाया करते थे
उनकी गलती को कभी दिल से ना लगाया
ये भूलने का सिलसिला इस कदर
शुरू हुआ की अब उसमे हम भी शामिल
थे , याद जिसको हमे रखना था भूल हमे वो भी
गए , भूल थी हमारी उनको यूं भुलाकर गले लगाने की ।।-
जब भी कुछ लिखने बैठे
ना जाने क्यों मन भर आता है
अल्फाज सोचूं कुछ और
दिल बस आह को आता है
पिड ना जाने कौन सी दिल
को चुभे जाती है ये दर्द मै लिखती
नही इस दिल को ना जाने कौन सी
बात याद आती है ।।-
ना जाने मेरे अल्फाज कही गुम है
खोज रही हु उनको ना जाने
कब से सुन है, हर रोज खोजती हूं
कभी तो वापस आना , तुम मेरी जिंदगी
के वो आशिक हो जिसे मैं ताउम्र चाहूंगी
तेरी गुमशुदगी में भी तुझे हर पल याद आऊंगी ।।
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वो इतिहास के पन्ने जो मैने
सिर्फ पढ़े नही
अनुभव भी किए है
मेरे लिए वो खंडर नही
वो बोलती हुई और गूंजती
हुई कहानी है जिन्हे सुनते हुए
मैं उन तक पहुंच जाया करती थी ।।-
अल्फाजों की कमी सी महसूस होती है
लिखूं तो लिखूं क्या
अब तो कलम भी खाली सी महसूस होती है
शायद ये कमी कलम की नही ,
मेरी तनहा जिंदगी की है
जो बस अब खाली ही खाली सी महसूस होती है-