प्रयास और किस्मत!....🙏
किस्मत को कोसना छोड़..... ओ बंदे, कुछ कर गुजरने की बात कर,
यूँ ही मात्र कह देने से कुछ न होगा, अब तो ज़रा खुद से मुलाकात कर।
तेरे हर प्रयास में ही छिपा है रस्ता,
बस यक़ीन रख, तेरी मेहनत ही लिखेंगी तेरी कहानी का नया रास्ता।-
ज़िंदगी और संघर्ष!....
कभी सोचूं जब तन्हाई में, तो ये बात समझ आती है,
ज़िंदगी उतनी आसान नहीं, जितनी नज़र आती है।
तप के दरिया से गुजरना पड़ता है बार-बार,
तब जा के कहीं ये राहें सवर पाती हैं।-
कोई खुशी उसी पल में बाँट लेता है,
तो कोई सही समय के इंतज़ार में चुप रहता है।
कोई नज़र न लग जाए,
यही सोच, मन की मन में ही रख लेता है।
कोई हर बात जरूर करता है,
फिर भी घर की सच्चाई, वक्त देखकर ही कहता है।
हर शख़्स अपनी सोच के दायरे में
सत्य और सुकून तलाशता है।
कोई खुलकर जीता है,
तो कोई भीतर ही भीतर सब कुछ सहता है।
वक़्त ने ये सिखाया है: की
ना तू ग़लत है, ना मैं गलत!
हर किसी की अपनी मर्ज़ी है,
जिसे जैसे मर्जी अपने पलों में शामिल करे।
अगर याद किया हमे, तो जो हो सका वो ज़रूर करेंगे।
और अगर ना भी किया, तो इस बात का अफसोस भी ना करेंगे।-
मैं बाप हूँ, मेरा मुकाम क्या है,
हर ख़ुशी में छुपा मेरा नाम क्या है।
जवानी तो बच्चों की राहों में बीती,
मेरे हिस्से का जश्न तमाम क्या है।
दो पल जो खुद के लिए भी ना जिए,
हर कदम बस अपनों के वास्ते लिए।
संवारे कई चेहरे, दिए सबको रंग,
मगर खुद की तस्वीर ही धुंधली किए।
ना शिकवा, ना कोई सवाल रखा,
बस अपनों के लिए हर हाल रखा।-
मेरी भूल को हर बार यू नज़रअंदाज़ न करना,
तेरी राह में चलते अगर फिसल जाऊँ, तो हाथ थाम लेना।
हो जाए गलती अगर तेरे नाम की राह में,
तो दया नहीं, सीख दे, संभाल भी लेना।-
सब्र की हद पर खड़ा हूँ मैं,🌿
अब बस तेरा एक इशारा चाहिए…
टूटती हिम्मत को थाम ए रब,
मुझे तेरा सहारा चाहिए...☘️।-
कुछ दुआओं का असर था, कुछ सादगी ने रंग दिखाया,
दिल साफ था मेरा, हर ख्वाब ने हक़ बनकर साथ निभाया।
खुशी से बुने कई अफसाने मैने,
जिस माटी को छुआ, उसने सोना बनकर मुझे लौटाया।-
चेहरे से किरदार की पहचान नहीं होती,
साथ चलो कुछ दूर तक - तो बात बनती है।-
बेफिक्र अपने यार की गोद में सिर रख हम सो लिए,
नींद ने भी ना पूछा ये सवाल कि बिस्तर मखमल का है या नहीं।-
शिकायतें बहुत हैं इस दिल में मगर, कहें किससे - यही सोच चुप हो जाते हैं।
दिल में शोर मचा है जज़्बातों का, पर कहें किससे - यही सोच चुप हो जाते हैं।
जो अरमान दिल ने कभी सजाए थे, हकीकत ने आकर उन्हें रुला डाला।
अब अपने ही दिल को समझाएं कैसे - यही सोच चुप हो जाते हैं।-