Markanday Rai   (【नीरव】)
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अंदाज नहीं होता ये नजरअंदाज!


Lives in Allahabad
Joined 21 July 2017


अंदाज नहीं होता ये नजरअंदाज!


Lives in Allahabad
Joined 21 July 2017
13 AUG 2017 AT 12:06

प्यार में कुर्बान होना सीखना है तो उस उजाले से सीखिए,
जो रूई के ख़तम होते ही अपना दम तोड़ देता है!!

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1 AUG 2017 AT 20:19

एक फरियाद!

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19 NOV 2020 AT 12:57

कवितांश
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मुझे उस युवती से प्रेम करते हुए लगा
मैं एक आबादी से प्रेम कर रहा हूँ
और उस आबादी में बस स्त्रियाँ हैं

पाया मैंने अपने भीतर के
एक पुरुष को स्त्री में बदलते हुए
देखा मैंने उस स्त्री के प्रेम में
भीतर के सभी पुरुषों को एक होते हुए।


#InternationalMensDay 🌼

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13 SEP 2020 AT 17:13

हम-तुम तोड़ सकते हैं
अँधेरे की नींद
दुःख का घमंड

हमारी हथेलियों के घर्षण से
फूटेगी वो आग
जो भस्म करेगी सभी विकृतियों को

हमारे अधरों से
जन्मेगा भगीरथ
उतरेगी गंगा
उपजेगा प्रेम

घृणा मूर्छा है, तो
प्रेम पानी का छींटा
हम से ही फूटेंगे
प्रेममयी झरनों के सोते

हमारी ही आँखों में
ईश्वर देखेगा मिट्टी और नमी
हमारे ही भीतर गाड़े जाएंगे बीज
हमारे ही पैरों पर लोटेंगी फसलें

हम-तुम मामूली लोग नहीं हैं!
हमारे ही प्रेम से सम्भव है पृथ्वी।

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23 AUG 2020 AT 22:52

दुःख सबको मांजता है और 
चाहे स्वयं सबको मुक्ति देना वह न जाने, किन्तु जिनको माँजता है 
उन्हें यह सीख देता है सबको मुक्त रखे। -अज्ञेय

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18 AUG 2020 AT 23:44

जीवन लंबा है, ये भ्रम है। पल-दो-पल की हस्ती है। एकदम अगला क्षण ही अँधेरे में है। हमारे पास बहुत समय है ये कोरी बात है। और दुनियाओं की तुलना में हमारी दुनिया फ्रैक्शन ऑफ सेकेंड्स है। लाख मुमकिन है हमारी दुनिया किसी बच्चे के भोर का सुंदर जीवित स्वप्न हो। आजी बताती थीं कि देह से प्राण कैसे छूटता है। प्राण नहीं छूटता, हम बस सपनों से वापस दुनिया में लौट नहीं पाते। सब सोते हैं, सपने में विचरते हैं, बस कुछ लौट आते हैं, कुछ पथ भूल जाते हैं। ये दुनिया किसी का देखा हुआ हुआ स्वप्न है जो पथ भूल गया है। एक दिन उसकी आँख खुलेगी, सब धुँआ हो जाएगा। सब। इसलिए आपको गाने भेजता रहता हूँ। जानता हूँ सब क्षणिक है। जो भेजता हूँ , मन करे तो सुना करें, मन करे तो बढ़ जाया करें। आज या कल मेरी याद आये तो मुझे गानों में ही खोजना। मेरी अनुपस्थिति में मेरे भेजे गाने सुनकर मुझ तक पहुंचा जा सकता है। मैं जब देह में नहीं होता हूँ , तब संगीत में होता हूँ। स्नेह!

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14 AUG 2020 AT 13:18

मैं उसे काफ़ी दिन से देख रहा था। वो लोगों पर प्रेम बड़ी कंजूसी से खर्च करती। जैसे बच्चा टूटे मन से गुल्लक के पैसे देता है, वो लोगों से वैसे ही प्रेम करती थी। प्रेम जैसी शय जिसे खर-पतवार की तरह अंधड़, जंगली होना चाहिए, कहीं भी, कभी भी उग आना चाहिए, उसकी कंटाई-छंटाई हो तो दुःख होता है। वो दुःख देती थी। अक्सर उसे देखकर सोचता था कि दुनिया का सबसे सुंदर काज किस दरिद्र के हाथ में चला गया! पर जब वो मेरे प्रेम में पड़ी तो उसने मुझे इतना चाहा कि मैं फटते-फटते बचा। जैसे कि उसे मालूम हो कौन-से गुब्बारे में कितनी हवा भरनी है। सन्तुलन उसने माँ से सीखा था। उसे पता होता चाय में चीनी कितनी डालनी होती है। किसे फीकी पसन्द है, किसे मीठी। अब वो नहीं है, फिर भी उसी के भरे हवा से फूला हूँ। उसी की नेमत खर्च रहा हूँ। उसे मालूम था कितनी चाभियाँ भरूँ कि खिलौना उम्र काट दे। सन्तुलन उसने माँ से सीखा था।

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21 MAR 2019 AT 22:12

सबसे ख़तरनाक होता है

हमारे सपनों का मर जाना

【पाश】

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17 FEB 2019 AT 18:14

वस्ल का आप सुन लिया हमने

हिज्र का सुनना बाक़ी है..!

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12 FEB 2019 AT 15:23

उसने गले लग कर बयां की तबियत इश्क़ की

मुझे हल्का बुखार था वो भी उतर गया


【ओम राजपूत】

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