कुछ लम्हे कुछ पहर कुछ दिन
या यूं कहें कि कुछ साल
अक्सर उम्मीद और इंतज़ार में ही बीत जाया करते हैं।
रह जाते हैं तो सिर्फ,
किसी के पास एहसास
किसी के साथ यादें
किसी के साथ अनुभव।
इन्हें सहेज कर आगे बढ़ो तो जिंदगी ख़ूबसूरत है,
नयी उम्मीद में ढलो तो और भी लाज़वाब है।।-
चाँद की अठखेलियों में,
सूरज मग्न हुआ रहा ।
रात बहुत गुलज़ार हुई,
पर भोर का दीपक बुझा रहा ।।-
Accept the truth not the myth
Accept the reality not the mentality
Accept the civilized not the civilization
Accept the humanity not just a human
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हैं खुशियाँ छाईं चारों ओर
आजादी के जश्न का है ये शोर
गंगा की निर्मल धार जहाँ है,
बुद्ध वीर का ज्ञान यहाँ है।
निश्चल पावन प्रेम जहां है,
सर्वधर्म समभाव यहॉं है।
भारत भाग्य विधाता है,
हम सबका गहरा नाता है।
विकसित होता राष्ट्र मेरा है ,
रंग लाती कुर्बानी है।
फक्र से अपना परिचय देते
सारे हिंदुस्तानी हैं ।।-
राह तकते रह जातें है पुस्तकालय
खुल जाते है मदिरालय ,
शिक्षा,ज्ञान का मोल कौन जाने
लगी है व्यवस्था राजस्व पाने ,
पढ़ लिख कोई हक जाने
व्यवस्था को कोई ललकारें
डरती है सारी सरकारें,
पुस्तकालय मांगे अनुमतियाँ
मदिरालय स्वतः खोलें सरकारें,
राह तकते रह जातें है पुस्तकालय
खुल जाते है मदिरालय l
निमित्त-प्रवेश
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अगर कुछ पीछे छूट जाए,
तो मुड़कर अफसोस करना मत।
जो आज है, तुम्हारी ज़िन्दगी में हासिल
उस पर सवाल कभी करना मत।
मिलेगा कल वही, जो होगा सबसे नायाब
बस हौसला दिल का कभी, टूटने देना मत ।।-
धरिणी इक टक देख रही,
कब तृष्णा मिट जाए।
मनुज अबै अचेत है,
मानवता असहाय।।-
धैर्यता का पाठ पढ़ाते,
दुख में हँसना वो सिखलाते,
पग-पग पर परछाई जैसे,
हर पल वो हैं साथ निभाते
यही तो सच्चे गुरु कहलाते।।
आदर्शों की मिसाल बनकर,
भविष्य को है बखूबी संवारते।
सदाबहार फूलों सा खिलकर,
सम्पूर्ण जीवन को वो संवारते।।
नित् नये प्रेरक आयाम लेकर,
हर क्षण भव्य वो हैं बनाते।
गुरु ज्ञान की दीप ज्योति से,
मन को आलौकित कर देते।।
विद्या का अद्भुत धन देकर,
जीवन को सुख से भर देते।
प्रणाम ऐसे गुरु को जिनकी ज्ञान महक से,
हम सबके जीवन महका करते।।-
खिलखिलाती नन्हीं कली से लेकर, मां तक की पहचान हो तुम।
पुकारी जाती हो तुम नारी, पर इस जहान में नर की उड़ान हो तुम ।।
अस्तित्व तेरा कोई दाग नहीं, जो इसको मिटाया जाए ।
जीवन की है अमिट छाप, जिसके बिना जिया ना जाए ।।
तुम प्रेम की बहती सरिता हो, अलंकारों सी सुसज्जित कविता हो ।
तुम मर्यादा हो पौरूष हो, जीवन जीने का अदम्य साहस हो ।।
ममता का वात्सल्य तुम्हीं हो, जीवन का हर कवच तुम्हीं हो।
अग्नि परीक्षा की सच्चाई तुम्हीं हो, सृष्टि रचना की अधिकारी तुम हो।
याद रखो बस बात यही, निर्भीक हो कमजोर नहीं ।
हाँ तुम नारी हो, पर इस दुनिया पर भारी हो।।-
Let's open a new book in which we will be going to find the new opportunities, the new dreams and a new lesson. But the only chapter we have to focus is 'Committedness' towards our life, dreams and passion.
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