इक दिन और गुज़र गया
कोई पल रुका नहीं ,
रही तन्हाई
मेरे साथ में .
न पास बैठा, न नज़र मिलाई
बस दूर रहा, वो इत्मीनान से .
यूँ ही जाती रहेगी
जान भी ,
किसी दिन जानाँ
तेरे इंतिज़ार में .
इक दिन और
गुज़र गया ..-
पता नहीं लोग रुसवा कैसे हो जातें हैं..
कितने थे राह, चल भी दिए
कहते थे कभी अपने, भूल भी गए
बात 'उम्रों की पर, पल न लगे
पल न लगे . कितने थे राह
चल भी दिए ..-
रंग उड़े, बिन ख़ुशबू हुए
गुलिस्ताँ-दर-गुलिस्ताँ
चले भी आओ, के तुम्हें अब
गुल भी , याद करते हैं
बेरंग से तेरे रंग
रंगना चाहते हैं
रंग उड़े
बिन ख़ुशबू हुए ..-
कहाँ रह गए तुम, साँझ सुनहरी
बात अधूरी
इंतिज़ार में तेरे,कहीं चाय न मेरी
सर्द हो जाए
कहाँ रह गए तुम ..-
बेचैन लब मुस्कुराती आँखें
अब सीखो तुम कहना ,
हूँ मैं तो तुम
तन्हा तो नहीं हो ..-
तुम झील सी तुम में आसमाँ नुमा होगा
भीतर तेरे चाँद सितारे, कहीं 'अक्स मेरा छुपा होगा .
तुम झील सी ..
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ये दिल मेरा जो घर तेरा, बे-क़रार रहता है
बिन तेरे ये तन्हा से, दर-ओ-दीवार .
ਉਡੀਕਾਂ ਵਿੱਚ ਮੇਰਾ ਸਾਹ, ਕਿੱਲੀ ਤੇ
ਟੰਗਿਆ, ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ .
ਤੁੰ ਗੁਮਸ਼ੁਦਾ, ਹਮੇਂਸ਼ਾ ਹੀ ਤੇ
ਗਵਾਚਿਆ, ਰਹਿੰਦਾ ਏ .
ये दिल मेरा, जो घर तेरा
बे-क़रार, रहता है ..-