manu   (manu..)
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जिंदगी प्यार के लिए कम पड़ जाती है
पता नहीं लोग रुसवा कैसे हो जातें हैं..
Joined 12 April 2018


जिंदगी प्यार के लिए कम पड़ जाती है
पता नहीं लोग रुसवा कैसे हो जातें हैं..
Joined 12 April 2018
12 HOURS AGO

रात ख़्वाबों तुम थे , यूँ नज़दीक-तर
हुई सुबह और बेदार से हो फिर मिले ..

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2 MAY AT 22:07

ख़्वाब से क्यूँ टूटते नहीं
रात है कि , बितती नहीं .

और ये घड़ी है
कि मनु , गुज़रती नहीं .

ख़्वाब से क्यूँ ..

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2 MAY AT 20:22

तुम जो कहो उस से भी, इन्कार तो नहीं
पर बात आगे की हो, हाँ ये दरकार रही ..

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2 MAY AT 19:35

किस, किस से लड़ते फिरोगे
क्यूँ कहते हो दिल में रहेंगे ..

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28 APR AT 23:37

चंद अश'आर ये
राहत के तो नहीं मनु ,
सहरा के किसी गुबार से
ये सुलगते रहते हैं .

पढ़-सुन ये
फिर जी उठते हैं ,
बेकस से ये तराने
दर्द बढ़ा देते हैं .

चंद अश'आर ये ..

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28 APR AT 2:56

दो-चार डग को जो कभी रहे थे हम-क़दम
वो आज मनु अपने पैरों के निशाँ पोंछते हैं ..

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27 APR AT 0:07

फिर हुई शाम और ये
कोई ख्वाब पुराना ढूंढते है ..

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26 APR AT 22:46

यूँ हीं आ बैठो , कभी पहलू में
'अलस-सुब्ह करो तुम फिर शाम सी ..

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26 APR AT 19:48

कहाँ उल्फ़त अब गुल रंगो से
कहीं गुम, वो रूह जान सी ..

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24 APR AT 23:25

रखें वो, नींद में याद
शाम ढले, पते नहीं मिलते ..

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