manu   (manu..)
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जिंदगी प्यार के लिए कम पड़ जाती है
पता नहीं लोग रुसवा कैसे हो जातें हैं..
Joined 12 April 2018


जिंदगी प्यार के लिए कम पड़ जाती है
पता नहीं लोग रुसवा कैसे हो जातें हैं..
Joined 12 April 2018
23 HOURS AGO

फिर से आज वो पास से गुजरे
कब कहा था मैंने हाल ठीक नहीं .

मिरे हर्फों को उस की ज़रूरत थी
फिर से आज ..

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28 APR AT 14:27

हो के जुदा फिर से तू अब क्यूँ आज़माने लगी है
ढलते से पहर चाय सी तू अब याद आने लगी है .

हो के जुदा फिर से तू अब ..

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24 APR AT 21:50

झूठ कहूँ तो
ये चाँद, ढल जाए .

तू आए और
कुछ कहाँ नज़र आए .

झूठ कहूँ तो ये चाँद ..

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23 APR AT 15:20

सौ रह-दारियाँ थीं , हज़ार अफ़साने रहे
बिन तिरे तन्हा से सब, कब मुकम्मल हुए .


ख्मोश स्याह सर्द से, ये अंधेरे कब बोलते हैं .


नूर ए नजर महके जो इक तबस्सुम सी तिरि
दूर वादियों सुरमई से फिर जैसे गीत बहते हैं .


सौ रह-दारियाँ थीं , हज़ार अफ़साने रहे ..

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20 APR AT 0:52

ता-'उम्र रहे रौशन सर पे चांदनी सुबह हो
न हो महकती जुल्फों की तुम शाम कर दो .

ख़त्म न हो कभी , ऐसी कोई बात कर लो
लंबी सी इक रात तुम , मेरे नाम कर दो ..



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18 APR AT 16:12

क्षण-क्षण वो घट रहा, चंचल नैन नहीं रे धीर
गलबही में नींद लगी रे, फिर जागे के पीर ..

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18 APR AT 14:40

बिखरेंगें महकेंगे, पात-पात डारी-डारी
खिले जो, मनु गुल कोई
नीलकंठ चातक फिर नज़र आएगा .

बिखरेंगें महकेंगे, वो समाँ
कोई रह जाएगा ..

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17 APR AT 23:55

न रहो यूँ ख़ामोश , बिन तेरे और मेरे
तुमने कहा जो , मैंने सुना
वो समाँ कोई, रह जाएगा .

न रहो , यूँ ख़ामोश ..

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17 APR AT 23:09

क़रीब-तर , वो यूँ हुए के
कुछ रंग से, रह गए .

कमसिन रूप , वो दिलकश अदा
परवाज़ से मोहताज हम रह गए .

कुछ रंग से, रह गए ..

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13 APR AT 17:12

कौन कहता है , मिटता है ज़ुल्म
सुर्ख़ सी दीवारों को आज भी है 'इल्म ..

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