Manu Mahrish   (हर लफ्ज़ "विशेष" है)
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Joined 15 May 2020


Joined 15 May 2020
26 JUL AT 4:28

बीता बचपन, हम जवां हो गए
इक दूसरे से हुए दूर
सबके अपने अपने मकां हो गए
भाई बहन भी एक दूसरे के मेहमां हो गए

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26 JUL AT 3:00


सुनो......

तुझसे मोहब्बत हो रही है शायद,क्या किया जाए..
रोक लूँ ख़ुद को यहीं की हो जाने दी जाए....
चैन और बेपरवाही में चलने, कटने दूं ये जिंदगी
या दिल-ए-सुकूं और रातों की नींद खो जाने दी जाए

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5 JUN AT 14:07

बहती आंखें, गहरी साँसे, कुछ छूटी धड़कनें
उफनते ज़ज्बात और इक मलाल रह गया
क्या उसे भी चाहत थी, क्या मोहब्बत थी
वो चला गया..........और ये सवाल रह गया

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23 MAY AT 17:28

तुम अल्फाज मेरे, तुम ही उनका अर्थ
तुम बिन मैं अधूरा, तुम बिन मैं व्यर्थ

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1 MAY AT 2:25

तेरी बातें तू ही जाने मुझे तो सब कमाल लगता है
जो मालिक दे तो शुकर उसका
जो न दे, तो कोई मलाल नही
मेरे गुरु की माया वो ख़ुद ही जाने
उसके किसी फैसले पर कभी सवाल नहीं

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21 APR AT 12:22

ख़ुद की अहमियत पर जो कभी सवाल हो,
देख लेना काँटों में खिले हुए उस गुलाब को
ज़रूरी नहीं यारों की लंबी चौड़ी फौज हो
बस चाहे चार हों पर साथ हो तो मौज हो
निकल गई जिंदगी ढूँढते किसी का साथ
समझा नहीं,पहले ख़ुद का ख़ुद को साथ हो

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6 APR AT 21:15

अल्फाज़ जाया हुए समझाने को,
गलत फ़हमी का गुबार फिर भी उड़ता है
अब चुप रह देख विशेष
कौन तेरी ख़ामोशी समझता है

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24 MAR AT 21:39

कितनी झूठी थीं वो कसमें हमारे प्यार की
की तू भी ज़िन्दा है मैं भी ज़िन्दा हूं

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20 MAR AT 8:48

वो कच्ची उम्र का प्यार कुछ ऐसा खुमार देता है
बिन चाकू तलवार बहुत गहरा निशान देता है

की धुन्ध सी छाती है यादों की जब चारो तरफ
जिधर देखूँ,आज भी सिर्फ़ वो दिखाई देता है

मोहल्ले से दूर उस बरगद के तने पर गुदे दो नाम
वो दरख्त बरसों से उस इश्क़ की नुमाइश देता है

कैसे धड़केगा दिल कैसे संभलेगा उनके बिन
पर ये कमबख्त वक्त सब सीखा ही देता है

इक मुद्दत हो गयी है उन्हें देखे मिले
और यह दिल आज भी जान देता है...

वो कच्ची उम्र का प्यार कुछ ऐसा खुमार देता है

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13 JAN AT 9:03

कभी मन अधूरा, कभी ख्वाहिशें अधूरी,
कभी वक़्त की कमी, कभी दूरीयो की मज़बूरी
कभी ज़ज्बात अधूरे, कभी बातें अधूरी
कभी मेरा दिन अधूरा कभी मेरी रातें अधूरी
कभी अल्फाज अधूरे तो कभी ख़ामोशी अधूरी
कभी दिल का सुकून अधूरा, कभी बेचैनी अधूरी

इस अधूरेपन की दुनिया में लिपटा हूं, सिमटा हूं
फ़िर भी दिल की गहराई से, रूह की सच्चाई से,
यह इज़हार करता हूं,..... मैं तुमसे प्यार करता हूं

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