डाटा पी रहे
हो होश में तो जानो
कैसे जी रहे-
हां हम वक्त से बेपरवाह लिखते हैं।
एक वृत्त के कईं छोर,
कुछ हैं इधर, कुछ उस ओर।
केंद्र बिन्दू से विलग हो,
ढूंढे अपना-अपना भोर।।-
रुके हुए आँसू आँखों में दर्द बन जाते हैं।
छुपे हुए जज़्बात जान के मर्द बन जाते हैं।।
रुके हुए आँसू आँखों में गर्द बन जाते हैं।
छुपे हुए जज़्बात जान के सर्द बन जाते हैं।।-
"मैं" की दुनिया में, "मैं" एक है,
उसके अतिरिक्त सब कुछ "मैं" नहीं है।
"तुम" की दुनिया में, "मैं" दो हो जाते हैं,
कुछ "तुम" तो कुछ "मैं" नहीं हैं।
"हम" की दुनिया में, कुछ "हम" हैं,
कुछ "तुम" हैं, "मैं" जैसा कुछ नहीं है।।-
क़ुदरत की ख़ैर ज़रूरी है।
जुड़ो सच से तो मत रोना,
बस झूठ से बैर ज़रूरी है।।-
तेरा मुस्कुराना कब तक।
जुड़ो तो मिल जाएं मंज़िलें,
आखिर ये ज़माना कब तक।।-
पितृसत्ता का नशा नहीं मातृत्वता की छाया है।
जिस भी घर ने अपनी बहु को बेटी बनाया है।।-
अतिथि करें बिनती हज़ार,
तो वृष ना समझना।
दो दाने चावल भी खा ले,
तो कृष्ण ना समझना।।-
रौशनी के जितने क़रीब,
उतना बड़ा साया तुम्हारा।
आधार मिले तब पीछे,
दिख जाए परछाया तुम्हारा।।-