Mansvi Bangarh   (Mansvi Bangarh)
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Joined 25 December 2019


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14 JAN 2022 AT 15:24

Unparalleled valour, unmatched power,
Great dwellings of Indian saviours.
Military, Air Force and Navy are the three,
Different branches of a strong rooted tree.

Indian Army;
Not mere a service, but a Pride
They are the real heroes in Disguise
Harsh climate and temperature, can not make them fear
Because, They are lovely childrens,
Of the motherland they swear

Army Dress and the hanging Stars
Make them proud for what they are
Enemies cannot trespass them,
Coz, Army is the fuel of million Indian lamps

We feel safe because They are
Shines on beauty like a Diamond Star
Army needs not this respect for only a day
They earn it, they deserve it on every single day.

Pen cannot pen down their power,
We are because They are.

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22 APR 2020 AT 9:53

लाॅकडाउन का आलम कुछ इस कद्र है छाया,
मानो जैसे पुकार रही हो बाहरी माया।
घर पर रहना, सुरक्षित रहना
प्रधानमंत्री का संदेशा है आया।।
धोना हाथ तुम बार-बार और दूर ही रहना,
वरना कोरोना हर लेगा तुम्हारी सारी काया-माया।

भारतीयों ने तो बड़े-बड़े युद्ध जीते हैं,
शत्रुओं से जीत का लोहा है मनवाया।
अब हर भारतीय,
मिलकर ध्वस्त करेगा कोरोना की ये भयंकर महामाया।

केवल इतना ही तो करना है साथियों,
घर पर ही रहे और पालन करें सरकार की नीतियों का।
सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखें,
और पथभ्रष्ट न हो क्षण भर भी।
सीता ने भूल में लाँघी थी लक्ष्मणरेखा,
तो रावण ने किया था हरण और दिया था धोखा।
इसीलिए आप जानबूझकर न लाघिये ये रेखा,
अन्यथा कोरोना छीन लेगा आपके जीवन का मौका।।

खुद मौत के मुंह में जाना है तो जाओ,
लेकिन दूसरों की जिंदगी को दाँव पर मत लगाओ।
मुद्दे की संवेदनशीलता आप समझना नहीं चाहते,
या समझ ही नहीं पाए।

अब तो राम ही रखवाला है सबका,
कोरोना कि इस भयावह महामारी से;
दुनिया की कश्ती को पार लगाए।।

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23 MAR 2020 AT 16:10

चारों और कोहराम है छाया,
कोरोना ने अपना साम्राज्य फैलाया।
ट्रंप, पुतिन सब क्षीण खड़े हैं,
मोदी जी ने नमस्ते का रास्ता दिखलाया।।

हाथ धो और दूर रह सबसे,
छींके तो मुंह को ढक ले।
बाहर नहीं है जाना; क्योंकि,
बाहर खड़ा है कोरोना।।

सरकार और W.H.O. की अब तो सुन लो,
इटली और चीन की गलतियों से कुछ तो प्रण लो।
दूर रहेंगे, तभी बचेंगे।।

आओ,
कोरोना के खिलाफ एक अभियान चलाएं,
घर पर बैठे और आलसी बन जाएं।
आलस ही अब कोरोना से बचाएगा,
आलसी होना अब अच्छा कहलाएगा।।

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13 FEB 2020 AT 15:54

World is full of confusion,
Everytime revolving around illusions'..
Sometime it becomes too difficult to predict
to understand the known real ones..

The face, known as index of Mind
creates trouble to read it behind.
The world is full of fake people
your communion in the front of you
and my communion in the front of me.

Gone are the days;
when it is difficult to find a foe
but now it has changed completely
Foes are in plenty and friends are limited..

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9 FEB 2020 AT 18:37

I want the help of human..
Either to protect me,
Or leave me alone.

I was sent by divine God
On this planet Earth,
to decor and beautify this planet;
to adore my home"land".
But Everything is over,
I arrived to cover & protect planet
But the human, in disguise of demon;
Just to fulfill their lust and desire,
Cut me recklessly like a 'Machiavellian'.

I bow you to please,
let me follow the order of my master-
"Nature".
If you cannot water me, cannot protect me.
Just leave me alone.

I am a tree,
and now I find no reason to love a human.

Now I cannot tolerate this, humilation more.
I can also be more dangerous than you.
Bushfire, Ecological Imbalance are just the trailer,
The movie will be more worst.

So,
I request you to please, just leave me alone.
I can cherish & nourish myself,
As I used to do..

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27 JAN 2020 AT 9:41

हवा बह रही विष से भरकर,
प्रकृति भी रोने को आई।
मनुष्य लाचार जीवन जी रहा,
दोस्तों,
आज मानव मंगल की ओर और;
मानवता जंगल की ओर।
कैसी है यह तन्हाई?

जिन पेड़ों को पूजा जाता था आदिकाल में,
आज उन्हें ही तहस-नहस कर रहा है मानव।
"विनाश काले विपरीत बुद्धि" कि वह सूक्ति याद आती है।
मानव के इन विनाशकाय कदमों को देखकर आज उक्ति वह याद आती है।।

हे! मानव तेरा अस्तित्व खत्म हो जायेगा,
अगर आज ना रुका तो जी नहीं पायेगा।
याद रख, ये तेरी आखिरी गलती भी हो सकती है,
और शायद अगले पल ही तेरी मौत तुझे बुलावा दे सकती है।।

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26 JAN 2020 AT 17:26

ये आज का हिंदू है जो मस्जिद में सजदा करता है,
ये आज का मुस्लिम है जो मंदिर में पूजा करता है।
ये आज का भारत है;
वर्तमान का भारत है।
जो विविधता में एकता की परीक्षा में खरा उतरता है।।

क्या बोलूं मैं अपने भारत के बारे में,
मेरे पास शब्द कम पड़ जाते हैं।
जो अलान्घय था उसे लाँघ चुका है,
धरती छोड़ो, सागर छोड़ो
अब तो आकाश में भी परचम लहराया है।
एक बार फिर से,
भारत माता के चेहरे पर मुस्कान का दीपक जलाया है।।

मैं नमन् करता हूं उन सैनिकों को,
उन शेरों को, उन वीरों को, उन माओं को।
मैं चुप्पी साधे, मौन रह जाता हूँ ;
जब भी बात हो भारत की,
बस मन-ही-मन मुस्कुराता हूँ।।

गर्व से कहता हूँ-"भारत का वासी हूँ"।
बार-बार धन्यवाद करता हूं भारत माता का
जयघोष करता हूं भारत माता का।।

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24 JAN 2020 AT 18:52

नारी को अबला कहना,
शायद कहने वालों का अपमान होगा ।
नारी, तुम केवल श्रद्धा की मूरत हो
कहना शायद कमल को गुलाब कहना होगा।।

नारी कोई बाजार की दुकान नहीं,
कि बेटा मांगा तो बेटा मिलेगा
और बेटी मांगी तो बेटी।
उन नौ महीनों का वर्णन करना संभव नहीं
उस दर्द का वर्णन करने वाली कोई कलम नहीं।।

वह युग बीत गया,
जब कृष्ण बचाने आते थे
द्रोपदी अब तुझे ही स्वयं को बचाना होगा।
इन राक्षसों से बचाने तुझे कोई नहीं आएगा,
छोड़ इस कोमल काया को,
तुझे अब चंडी रूप दिखाना होगा।।

बस,
बहुत हुआ किसी का सहारा लेना,
समाज को अपना परिचय कराना होगा।
कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा,
संसार को अपना असली मंजर दिखाना होगा।।

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15 JAN 2020 AT 11:40

आज के समय में इंसान, कितना उलझ गया है।
रिश्तों को सुलझाते-सुलझाते,
खुद ही उलझ गया है।।

भाई-बहन का वह अटूट रिश्ता,
मानो खत्म होने को आया है।
क्योंकि भाइयों को किसी ओर की बहन,
और बहनों को किसी ओर का भाई ज्यादा भाया है।।

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1 JAN 2020 AT 9:54

बिन कहे भी ये शब्द बहुत कुछ कह जाते हैं,
वर्णो के मिलन से जन्म होता है इनका;
और वाक्य के जनक भी यही कहलाते हैं।

एक शब्द की शक्ति का अंदाज़ा, आप क्या लगाओगें जनाब;
इसका सम्राज्य कहाँ तक है, और इसकी सीमा कहाँ तक है।
शब्दों का ही बोलबाला है जनाब,
कभी आप को भाते हैं, तो उसी पल किसी ओर को मन ही मन जलाते हैं।।

शब्दावली के शब्दों की संख्या असंख्य है,
इनके अर्थों की नदी अलांघ्य है।
इनको समझ पाना इतना भी सरल नहीं,
और इनके चक्रव्यूह से निकल पाना सरल नहीं।।

जिसको समझ आ गया, तो बेहतर है।
नहीं आया तो, कौनसा कोई शिकायत है।।

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