लिखना छोड़ दिया था अब,
मशरूफ काम में रहने लगा था
कारण तो जुदाई ही थी
तो बस अकेला रहने लगा था,
आज यूंही टहलता, राहें तेरी गलियों में मोड़ ली
आज फिर महफिल बन बैठा
जो बस तन्हा रहने लगा था
-
In love with कलम
Love to write
When I write its you who shines.
बस अब रहने दो और करीब मत आओ,
तुम्हारे आने की खुशी से जादा
तुम्हारे जाने का गम तड़पाता है।
हा मान लिया गलती सब हमारी थी,
चलो अब जाने दो ऐसे गड़े मुर्दे कोन उखड़ता है
जाते हुए एक फर्ज अदा करते जाना
यादों के पिटारे को तुम बंद करते जाना,
क्योंकि, बीती राते सर्द हवाएं बहुत थी
सोया भी नही लेकिन नींद आई बहुत थी
बेफजूल लफ्जो को टटोलता रहूंगा
बहती यादों को हवा से मैं खींचता रहूंगा।-
था इंतजार जिस पल का
कुछ पलों में बीत गया
जिसके दीदार को बैठे थे
बंद आखों में ही रह गया
ना आए वो ना कोई खत भेजा
उस रात दरवाजे पे
मैं अकेला ही खड़ा रह गया।-
मेरा सब्र ही है, कहीं बांध ना बन जाए
तुम रोकते ही रह जाओ और मेरा दिल बिखर जाए
मालूम है मुझे, मेरे दर्द से क्या फर्क पड़ता है
इतना मत उलझा की ये जख्म ही मिट जाए
-
तुम हो नहीं मेरे, फिर भी हक़ जता लू मन करता है
मन कासिद सा बन बैठा जिक्र दिल से तुझ तक करता है
तुम्हारी महफ़िल गैरो की फर्क क्यों मुझको पड़ता है
दूर रह भी लू तुझसे, दिल फिर तेरी बातें करता है-
सादगी से आजान पढ़ लेता था मै
पूछा खुदा ने कहा रहता है आज कल
दबे स्वर से नाम तुम्हारा क्या कहा
मेरी हर सुबह में तुझे मेरा लिख दिया
अदा की मैंने भी हर रस्म ए-खुदाई की
हर सांस पे याद तुझे करने लग गया
तुम मिलो ना मिलो वो बातें बाद की है
मेरी अहल ए-वफ़ा बस तुमसे ही रह गई-
वैसे तो काफी आम सी थी ज़िंदगी
लेकिन कुछ तो खास हुआ उस दिन,
मेरी सुबह से शाम एक पल में बीत गई
ऐसा कुछ तो खास हुआ उस दिन
ढलते सूरज ने भी अंगड़ाइयां ली बहुत थी
मानो ज्यादा ही जल गया कुछ चमकता देख कर
मेरे जाम में कम लेकिन नजर जब उठी
मेरी आंखो ने नशा किया रात भर
कुछ खास तो ऐसा हुआ उस दिन, की
पहली बार दीदार तेरा हुआ उस दिन-
मै एक ढलता सूरज तुम गुलाबी शाम सी हो
बेहिसाब तारो में तुम अकेली चांद सी हो
मै बस भीड़ का टुकड़ा तुम महफिलों की गांठ सी हो
इस गुमनाम दुनिया में तुम मुजबानी याद सी हो
एक दीद से तेरे सुरूर ज़िन्दगी भर का होजाए
मै एक कतरा शराब का और तुम हजारों जाम सी हो।-
फासलों में मगरुर हो
जरा नजदीकियां बढ़ा कर तो देखो
हम दिल बिछाए बैठे है
तुम कदम बढ़ा कर तो देखो।-
मै शाम हूं ढल जाने दे,
एक जिक्र हूं, हो जाने दे
महताब हूं जल जाने दे,
तेरे इश्क में मिट जाने दे
अभी नजदीक हूं थोडा़ दूर जाने दे
इक शायरी हूं, किताब बन जाने दे
आदत वो, बन जाने दे
छोड़ गए! अब बस मर जाने दे।-