तुम्हें पसंद नही मेरा ज्यादा सॅंवरना
तो कुछ यूॅं करना
अब की बार मिलना ,तो तुम मुझे सॅंवार देना
कजरा लगाऊ या बिंदिया तुम ये विचार करना
ज़ुल्फें बाॅंध लूॅं या बिखेर दूॅं
इन ज़ल्फों को तुम काबू में कर लेना
इन लबों को किसी लाली से लाल करूं या
तुम्हारे खिलाए हुए गुलाबों से
ये तुम सोच लेना
परिधान का खास ख्याल रखना
पहनूंगी तुम्हारी लायी साड़ी, इसलिए रंग अच्छा चुनना
सॅंवर कर जब आईने के सामने जाऊॅं,तुम्हारे किए श्रंगार से खुद पर इतराऊ
मैं तुम्हारी ये श्रंगार तुम्हारा
मैं तेरे रंग मे ढल जाऊ
अब की बार आना तो तुम मुझे सॅंवारना।
-
वो मजबूर था अपने घर की बंदिशों से,
वरना इश़्क उसे भी बहुत था मुझसे ।
वो जानता था हम कभी ना हो पाएंगें एक दूजे के,
फिर भी वो रोक ना सका इश़्क होने से ।
आखिरी मुलाकात पर कुछ यूं गले लगाए सहमा था ऐसे,
जैसे कोई बच्चा रो रहा हो अपना टूटा खिलौना लेके ।
उस दिन जाना मैनें
अगर स्त्री प्रेम की मूरत है...
तो
पुरूष उस मासूम बच्चे की तरह....
जिसकी दुनिया वही खिलौना है
उसे नहीं पता उसके बगैर वो जी सकता है या नही........
-
आज के दौर में
हर स्त्री छोड़ी हुई है.......
और
हर पुरुष ठुकराया हुआ ......
-
दगाबाज़ से वफा की उम्मीद नही करते है हम,
जो पल भर में किसी और का हो जाए, उसे अपना बनाने की जद्दोजहद नही करते हैं हम।-
बड़ी आरज़ू थी उनको जी भर कर देखने की
मुर्शद
ये हसरत भी हमने उनकी तस्वीरो से पूरी करी।।-
लड़कियां ही नहीं अक्सर लड़के भी बिन मर्जी ब्याह दिए जाते हैं।
कच्ची उम्र में ही जिम्मेदारी के बोझ लाद दिए जाते हैं।
तुम मर्द हो,सख्त हो ऐसा कह कर,
आँखों मे आने से पहले उनके आंसू सूखा दिए जाते हैं।
लड़की किसी की जिम्मेदारी बन कर ससुराल जाती है,
लड़कों पर लड़की की ख़ुशी कि जिम्मेदारी आ जाती है।
वो अपना अधूरा टूटा प्यार जोड़ने की कोशिश करता है ,
कैसे किस तरह खुश रखें बीवी को इसी जतन में लगा रहता है ।
कुछ ख्वाब तोड़ता कुछ ख्वाहिशें खत्म कर डालता है,
कुछ इस तरह वो अपने परिवार को ख़ुश रख पाता हैं।
लड़का होना भी कहा आसान है़....
हर परीक्षा में खरा उतरना है
हर मुश्किल राह पर अकेले चलना है
चाहे कितना दुख हो मन मे
पर घर वालों के लिए मुस्कराते रहना है
लड़का होना भी कहां आसान है.....
-
ऐ दिल
ठहर
इश़्क और भरोसा ऐहतियात से कर।
क्या पता किस मोड़ पर कौन तोड़ जाए कौन छोड़ जाए।
हमसफ़र बनाने की उम्मीद में क्या पता कौन किस तरह उम्मीद तोड़ जाए।
तू सम्भाल खुद को दायरा बना रिश्ते का
सफर अभी लंबा है।
जो आखिरी साँस तक साथ दे बस वही अपना है
बाकी सब सपना है।-
सुन कर वो गीत तुझमें खो जाती हूँ।
देखा था जो सपना संग जीने का उसमें डूब जाती हूँ।।
अपनी दुनिया जहाँ हम बसाएगें।
सारी मुश्किलें साथ सुलझाएगें।।
साँझ तले तेरी राह देखूँगी।
तुम लौटोगे दफ्तर से , मैं चाय तैयार रखूँगी।।
होकर तैयार जब आईने के सामने आऊँ, तुम मेरी मांग भर देना।
मेरे सोलह श्रंगार पर चार चाँद लगा देना।।
इश़्क बेशुमार होगा।
इत़वार खुशियों से गुलजा़र होगा।।
यूँ ही देना साथ हर कदम पर।
चलेंगें हम केदारनाथ के सफ़र पर।।
आखिरी सांस तेरी बाहों में टूटे।
साथ अपना कभी ना छूटे।।
-
मैनें उसके घर में पहली बार कदम रखा,
उसे किसी और के नाम की हल्दी लगाने के लिए।-