अंधकार से मुझे भय नहीं लगता,
किंतु,
कभी कभी अंधकार
इतना भयावह हो जाता है कि,
प्रकाश को भी सोख लेता है।
कोई प्रकाश हाथ बढ़ाए भी,
तो नज़र आता है,
सिर्फ़ और सिर्फ़ अंधकार।
मैं अंधकार से फ़िर भी नहीं डरता,
मुझे डर लगता है,
स्वयं से...
...
अगर मैं हार गया तो...?
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प्रकृति के करीब ♥️
तुम्हारा मेरी ज़िंदगी में होना,मुझे इंसान बनाये रखता है।
वरना, गुस्सा तो मुझे, जानवरों वाला आता है।😈-
आसानी से समझ आ जाऊं
इतना भी सरल नहीं हूँ, मैं ।
दिखने में काफ़ी सीधा हूँ,
किंतु किरदार, बड़ा उलझा हूँ, मैं।-
"मैं" से "हम" तक का सफ़र
ये तुम हो
मुझमें आहिस्ता–आहिस्ता
किसी दरख़्त की छाँव से
सुकून के कतरे लिए।-
ख़ुद को कोसते रहते हो
लोग कहते हैं तुम बुरे हो
यह बात तुम मान लो
उनके लफ़्ज़ों को
अपने कर्मों से तुम बांध लो
बेवजह दर्द देते हो ख़ुद को
इन चिंताओं को अब विराम दो।
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बंद कमरों से
खुले आसमान की तरफ भागता हूँ
बढ़ती हुई धड़कनों की डोर मैं थामता हूँ
साँसे थम सी जाती हैं
मैं अश्कों से कुछ पल की पनाह मांगता हूँ।
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जो कहीं नहीं पहुंचे
अंततः वही स्वयं तक पहुंचे ।
भीड़ के बिछड़े
शून्य तक पहुंचे।-
जब कोई मुझसे कहता है,
"खुश रहा करो"
मैं चाहती हूँ उससे सब कह दूं
किंतु, हृदय में हल्की सी चुभन
आँखों में उमड़ता सैलाब
और लबों पर मुस्कुराहट
एक डर
ख़ुद को मजबूत दिखाने का
सारे लफ़्ज़ों को ख़ामोश कर देते हैं ।
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