Mansi singh   (मानsi सिंgh)
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ख़ामोशियों की शौकीन
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प्रकृति के करीब ♥️
Joined 20 November 2020


ख़ामोशियों की शौकीन
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प्रकृति के करीब ♥️
Joined 20 November 2020
22 MAR 2022 AT 12:55

काँटों के बीच मत रहो ,
अपितु स्वयं की रक्षा के लिए ख़ुद काँटा बनो

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12 MAR 2022 AT 19:05

वही काफ़ी थे मशविरे के लिए
गैरों को तो कभी मैंने
जगह दी ही नहीं!

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25 JAN 2022 AT 22:23

मासूमियत तो बहुत है मुझमें
ये बात अलग है कि
बिल्कुल भी मासूम नहीं हूँ मैं

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25 JAN 2022 AT 21:48

इंसानों से ज्यादा
पत्थरों को
तवज्जो दी गयी है!

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22 JAN 2022 AT 18:09

मैंने सीखा.. ख़ुद को लिखना!

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7 JAN 2022 AT 20:27

मैं हूँ.. तुम हो
और कुछ यादें हैं
जब भी इन्हें समेटने
की कोशिश करता हूँ
तो सिर्फ
अश्कों को पाता हूँ!

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3 JAN 2022 AT 14:41

मेरे नाम के विलोम से दिखते हो तुम
डांटने में मेरे भाई के पर्याय हो तुम
मुझे समझने में माँ के समानार्थी हो तुम
पर प्यार के मामले में पूरे.......
अव्यय हो तुम!

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2 JAN 2022 AT 20:49

घने बादल
हवाओं का शोर
आँखो ने दी हिदायत
हम बरसेंगे
कभी और!

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1 JAN 2022 AT 15:10

ख़ामोशी बेहतर होगी

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1 JAN 2022 AT 15:09

जीने की ख्वाहिशें बढ़ने लगी
जब वक़्त की गुंजाइश ही ना रही जीने में
धूमिल ख्वाबों में एक अक्स दिखा
दबा सा कहीं सीने में

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