ज़िन्दगी सुन,
ज़रा आहिस्ता आहिस्ता चला कर
मेरे क़दमों की लंबाई
तेरे, से कुछ कम है
मेरी हर सच्चाई
तेरी के आगे नम है
मुझे रोकते हैं हाथ कई
टोकती है, लकीरें भी।
ज़िन्दगी सुन,
ज़रा आहिस्ता आहिस्ता चला कर
फिर कहीं जाकर
आसमान से मिला कर
मैं वक़्त हूँ
तू घड़ी है
मैं सांस हूँ
तू मैं हूँ
मैं तुझसे आगे न निकलूं
ऐसे कसकर पकड़ा कर।
ज़िन्दगी सुन,
ज़रा आहिस्ता आहिस्ता चला कर।
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