उन बातों को
जो लफ्ज़ बयां न कर पाए
उन जज्बातों को
जो तुम कभी जाहिर न कर पाए
उन मुलाकातों को
जो होकर भी पूरी न हो पाई
उन अश्कों को
जो रुक कर भी रुक न पाए
दिल में ही रखना!...-
जिए ज़िंदगी के कई रंग।
कुछ सपने अनदेखे से,
कुछ पल जिए तुम्हारे संग।
कुछ यादें जो रह गई है अब,
न जानें कैसे भुलेंगे अब,
वो पल जो जीए थे तुम्हारे संग।।-
मुसीबते तो जैसे पहाड़ बन आड़े आती रहेंगी
कदम डगमगाएंगे, पर रुकना नहीं
पिछे हटना चाहोगे, पर हटना नहीं
मुकाबला करो अंजाम की मत सोचो
बस आगे बढ़ते चलो
फिर देखो मंज़िल मिलने की चमक
पिछली सारी बुरी यादों को धुंधला कर देगी-
जिन बातों को जज्बातों को
दबाया हमने अपने अंदर
तुमने आकर उन्हें सुलझाने
के बहाने
हमें और उल्झा दिया
और देखो
हमें पता ही न लगा...-
हसीन हुआ करती थी ये ज़िंदगी
ख्वाबों को हकीकत का रास्ता कहां पता था
चाहत तो आसमां छू लेने की थी
ख़ुद में ख़ुद ही फक्र कर लिया करते थे हम
इल्म न था हमें
मशरूफ हो गए थे ख़ुद में ही
अब आलम ये है कि
खुद से मिले ही हमें अरसा हो गया है।।-
तो बात थी
तुम अगर पास होते
तो बात थी
वो एहसास, वो प्यार
वो इकरार
वो तुम्हारी बातें
अब भी होती तो बात होती।।-
मांगते हैं तुम्हें ही मन्नतों में अपनी
चाहने लगे हैं तुम्हें तुम से भी ज़्यादा
मन्नतों में, इबादतों में डूबे हैं तुम्हारी ही चाहत में
दीवानगी में तुम्हारी सिमट
चूके हैं इस कदर कि
लोगो को अब हम में भी तुम
ही नजर आने लगे हो-
किसी के दूर जानें से
मायूस नहीं होते
किसी के मशरूफ होने से
मोहताज़ नहीं तुम
अपने जज्बातों को
काबू में रख
निकल पड़ो अपनी मंज़िल कि ओर-
दिन ढलते ही चले जाते हैं
वक्त की नज़ाकत जब
तक का आती है समझ में
मौसम अपनी रफ्तार पकड़
चल दिया करते हैं
नई मंज़िल की ओर.....-
राह भी कहा आसां थी
ख्वाइश तो आसमां छू लेने की थी
लेकिन हवाओं ने अपना
रूख कुछ यूं मोड़ा
कि मंज़िल सामने थी
और हमें दिखाई ही नहीं दी।।-