🍁 मन के भाव 🍁
No_3509
मां
मां तुम साथ नही हो तो क्या हरदम मेरे साथ तुम्हारी मुस्कराहट होती
मां जब कभी मुझे तेरी याद आती
मां तुम्हारी मुस्कराहट मेरी ताकत बन जाती
जब कभी मुझे किसी बात पर घबराहट होती
महसूस मुझे तेरी गोदी की गर्माहट होती
मां तुम मेरे आस-पास हो यही सुगबुगाहट होती
आज भी सुनाई देती है तुम्हारी चूड़ियों की छनछनाहट
मां तुमसे गले मिलने की छटपटाहट है होती
मनशा यही हर मां की घर मे सदा बेटी की खिलखिलाहट होती
वो मां ही होती जो बेटी के विदाई पर सबसे ज्यादा है रोती
मां बनने के बाद महसूस होता मां क्या है होती
काश मां आज तुमसे हैप्पी मदर्स डे कहती तो कुछ और बात होती
#स्वरचित_सुरमन_✍️
11/5/25-
🍁मन के भाव 🍁
No_3508
सिंदूर
तुम नही जानते सिंदूर की शक्ति की ललकार
सेना बन सिंदूर ही करेगे आतंक पर वार
तुम धर्म पूछकर गोली से रहे थे मार
हम मरने वालो की तेरहवीं तक थे लाचार
मक्कारो को सबक सिखाना चाहिए कर रहे थे विचार
जिस तरह उन्होने मारा वो उचित नही था व्यवहार
नारी का सिंदूर उजाड़ा सिंदूर ही था आधार
निर्दोषों पर गोलियां चलाई तुम पर है धिक्कार
खून हमारा खौल रहा मनशा ठान करेगे तुम पर ऐसा प्रहार
हमे कम समझने की ना करना भूल बदल देगे पाकिस्तान का आकार
अबकी बार जो युद्ध होगा तुमसे छीन लेगे ब्लूच लाहौर कंधार
दुनिया देखेगी भारत की ताकत चंद दिनो मे करेगे तुम्हारा संघार
एक सिंदूर के बदले तुम्हे हर जगह नजर आयेगी मजार
मातृभूमि के हित और बहनो के सिंदूर की रक्षा की खातिर
भारतीय सेना सरहद पर हथियार लिए बदला लेने को बेकरार
आपरेशन सिंदूर को सफल बनाने को हम सब भी रहे तैयार
बंदूक ना सही हाथो मे हो लाठी तलवार नये भारत के हम सब है सूत्रधार
#स्वरचित_सुरमन_✍️
9/5/25-
🍁मन के भाव 🍁
No_3507
जब जब लिखने के लिए क़लम उठाई है
पहलगाम हमले की याद आई है
मनशा लिखने की थी मगर लिखने पर आंख भर आई है
आपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तानीयो की नींद उड़ाई है
#स्वरचित_सुरमन_✍️
8/5/25-
🍁मन के भाव 🍁No_3506
मेरे मन में ना आया यह सब है निराधार
तेरी यादो को भूला ना सके तुम्ही थे जीवन का आधार
तुम्ही नही तो फिर किसके लिए हार सिंगार
नयी दुनिया बनाने का विचार से भी है इंकार
तुम्ही से मेरी दुनिया तुम्हे कैसे दे बिसार
मनशा नही सात जन्म के वचन भूला दे ऐसे नही संस्कार
वो हम नही जो प्यार और रिश्तो को समझे व्यापार
खुद को तुम्हे किया था समर्पित गर तुम्हे बिसारे ऐसे जीवन पर धिक्कार
मगर मेरा इन आती जाती सांसों पर नही कोई अख्तियार
#स्वरचित_सुरमन_✍️
25/4/25-
🍁मन के भाव 🍁
No_3505
रिश्ते
साथ मिलकर रहने से ही रिश्ते रहते है
ये हम नही दुनिया वाले कहते है
हो रिश्ते ऐसे आसमान मे जैसे चांद और सितारे रहते है
रिश्ते-नाते वही जो एक दूसरे से अपनी मनशा कहते है
#स्वरचित_सुरमन_✍️
24/4/25-
🍁मन के भाव 🍁No_3504
दिल के गहरे ज़ख्म और गहरे हुए इक तेरे जाने से
डरते है सामना करने से दुनिया और उजाले से
कमरे की छत को घूरा करते है तेरे ख्यालों से
अपने ज़ख्म अपनी मनशा क्या कहे ज़माने से
एक बार जो जा चुके हो क्या वो वापस आयेगे बुलाने से
खुद से ज्यादा किया था विश्वास टूट गये विश्वास टूट जाने से
हकीकत ना बदलेगी तुम्हारे दूरी बनाने से
वक्त लगेगा इस नासूर को भर जाने मे
दर्द कम ना होगा दिल को बहलाने से
दिल को थोड़ी राहत मिलती है अश्क बह जाने से
#सवर स्वरचित_सुरमन_✍️
24/4/25-
🍁मन के भाव 🍁No_3503
पहलगाम
वो आतंकी कायर थे जो सेना की वर्दी मे आये
नेक ना थी उनकी मनशा जो निर्दोषो का खून बहाये
ना हाथो के चूड़े उतरे ना मेहंदी का रंग उतार पाये
जाति पूछी धर्म पूछा सीने के पार गोली मारी ठायं ठायं
किसी की मांग उजाड़ी किसी की कोख सूनी लाशे दी बिछाये
आज पहलगाम मे चीखे और रोने की आवाज दे रही सुनाये
अपने ही भारत मे धर्मो मजहबों मे बंट गये हो गए पराये
चंद रुपयों की खातिर अपने ही दगा कर गये उन्हे लगेगी हाय
#स्वरचित_सुरमन_✍️
22/4/25-
🍁मन के भाव 🍁No_3502
अपने अंतर्मन मे झांकिए
बहुत खुबसूरत है यह जिंदगी
एक बार खुद को आईने मे झांकिए
बहू मूल्य जीवन की कीमत को खुद आंकिए
हौसला हो बुलंद मन मे मनशा ठानिए
सफलता मिलेगी पिछली असफलता को नकारिए
अपने सामर्थ्य को जान मुठ्ठी मे आकाश को नापिए
#स्वरचित_सुरमन_✍️
22/4/25-
🌷सांवरे की मनशा 🌷
No_3501
ज्ञान
हे अर्जुन तुम्हे दिया गीता का ज्ञान
मनशा है तुम रख पाओगे गाणिडव का मान
कुरुक्षेत्र मे ना कोई रिश्ता ना कोई मित्र तुमको हो भान
विजय होगी तुम्हारी जब सारथी हो कृष्ण भगवान
#स्वरचित_सुरमन_✍️
21/4/25-
🍁मन के भाव 🍁No_3500
जय झूलेलाल
चौरासी के फेरे काटने के लिए जन्म लिया
अरे अपनो ने ही अपनो को तीन दिन मे समेटने का सिला दिया
भूल गये जिसने हमे जन्म देकर लालन-पालन किया
खिला पिला कर पढ़ा लिखाकर अपने पैरो पर बढ़ा किया
उसी का क्रियाकर्म बराबर ना करके फिर से उसी आवागमन के चक्कर मे झौंक दिया
सिन्धीयो के सिवा हमने कहीं भी ना देखी यह क्रिया
हमारी भावी पीढ़ी यह कहां जा रही
हर धर्म मे होते पूरे रिति रिवाज फिर क्यों सिन्धी ही कर रहे यह अधूरे काज
मृतक के लिए पिण्ड दान ना कर अपना पिण्ड छुड़ा रहे
सब कुछ झात होते हुए भी सभी बुद्धिजीवी अपना पल्ला झाड़ रहे
ना कभी किसी पंचायत ना किसी संगठन ने इस बात पर आपत्ति जताई
ना किसी झानी ने किसी को यह बात समझाई
जो बीज वो पोख रहे फिर वही फसल वो काटेगे
दूसरे पंथों के चक्कर मे पड़कर अपना आवागमन बिगाड़ रहे
जिन पंथों मे वो जा रहे वो पंथ चुपचाप अपने पंथों मे सभी क्रिया निभा रहे
परन्तु कुछ अज्ञानी यह सब समझ ना पा रहे अपने ग्रंथों को ही झूठा बता रहे
मनशा यही सबको सद्बुद्धि आये सही प्रकार से अपना धर्म निभाये
आवागमन के चक्कर से छूट जाये
#स्वरचित_सुरमन_✍️
21/4/25-