Kaise batayein
hum ye tumhe
Kya kya zehan mein
paale hai,
Duniya ko dekho
kya kya usne
Humaare liye
Veham paale hai...
To be continued...-
तुझे उगता सूरज कहता ,
या निखरता चाँद कहता ।
तुझे टिमटिमाता तारा कहता ,
या खिलता आसमान कहता ।
तेरे हर रूप में कुदरत की
काया का लेख छुपा है ,
तुझे कायनात की मोहब्बत कहता ,
या मोहब्बत की कायनात कहता। ।
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सपने कभी कम्बख्त यूँ ही मरते नहीं हैं
अक्सर या तो जीवन में अधूरे से रह जाते हैं
या तो किस्मत से ये मुकम्मल भी हो जाते हैं
पर कभी अधूरे इश्क़ की तरह बिछड़ते नहीं हैं
सपने कभी कम्बख्त यूँ ही मरते नहीं हैं ।।
ज़िन्दगी की भाग दौड़ में किनारे पड़े रह जाते हैं
काम काज़ की भीड़ में कहीं ये खो से जाते हैं
पर कभी बचपन की यादों तरह बिछड़ते नहीं हैं
सपने कभी कम्बख्त यूँ ही मरते नहीं हैं ।।
दिन में दिमाग से अक्सर ये वन्छित से हो जाते हैं
फिर रात में अक्सर ये तकिये पर ही पाये जाते हैं
पर कभी ऊँची उड़ानों से ये डरते नहीं हैं
सपने कभी कम्बख्त यूँ ही मरते नहीं हैं ।।-
वो मेरे कमरे में आ कर बिखरे सामान को
जमाना शुरू कर देती है ।
वो मेरी हर गलती पर मुझे डाँट कर ही सही
पर समझाना शुरू कर देती है ।।
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हवाओं में एक अजीब सी ऩमी सी है
ना तुझको खोया , ना तुझको पाया
फिर भी एक अजीब सी कमी सी है ।।-
Khaamoshi aaj tujhse naaraazgi si ho gai hai
Ek din hi sahi alfaazo se dosti kr leti
Khud ko peeche kr k unko aage kr leti...
To be continued...
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तुम किसी सर्द हवा से कम थोड़ी हो ,
ज़रा सा छू लो तो बदन काँप सा उठता है ।।-
Hum hai kaun
ye bataye kaun
Apni pehchaan
karaaye kaun
Aksar log batlaa
diya krte the
Ab khud se khud ko
Batlaaye kaun....-
Tune jo yu istemaal kiya hai mujhe
Jo bhi kaho bemisaal kiya hai mujhe
Teri nafrat ne gagan ko sabak sikha diya
Ki ab gagan tak pahuchaya hai mujhe-
"तुमको काफी हद तक जाना है मैंने ।"
मगर जितना भी जाना कम ही जाना है मैंने ।।
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