4 JUL 2017 AT 17:00

वर्षा ये वर्षा वर्षा
पहली ये अल्हड़ वर्षा
ज्यों ज्यों बढ़ता वर्षा का वेग
त्यों त्यों होता भावों में अतिरेक
संग चली ये मंद समीर
मन को करने लगी अधीर
उस पर दामिनी की चमक
यूँ तन मन में उठे सिहरन
घोर घोर बादलों का गर्जन
बह रहा मदमस्त सावन
पंख लगाकर करूँ मैं विचरण
तेरे ख्यालों के अंबर में
भीग जाए ये मन
तेरे नेह की वर्षा में
वर्षा ये वर्षा वर्षा
पहली ये अल्हड़ वर्षा...


- मनप्रीत कौर 'मन'