नाह ही बेवफ़ा कहलाए, न इश्क़ में धोका खाया ....
दिल से दिल जोड़कर हमने जो स्नेह कमाया।।
उसे पाने के लिए अपना सब कुछ गवाया...
हमने तो बस दुर्लभ, बेमिसाल, बेइंतहा इश्क़ फरमाया।।❤️-
ज़िन्दगी/ ख्वाहिशे!!
होटों ने हर बात छिपाए रखी।। निगाहों को यह हुनर कभ... read more
The day you start fretting about future
Is the day you leave your childhood behind...🖤-
आज फिर कलम उठा ली मैने,
दर्द बयान पन्नों पर करेंगे...
हां तुमने दिए थे जो इश्क़ में,
लफ़्ज़ों से वो ज़खम भरेंगे...
आज फिर ज़हन में वो नाम है,
आज फिर वो काली रात आयी है...
भीग गए पन्ने, टूट गई कलम
याद तुम्हारी अश्कों की बरसात जो लई है✨-
यह शायरी फैज अहमद फैज जी द्वारा लिखी गई है...
वो लोग बहुत खुशकिस्मत थे
जो इश्क को काम समझते थे
या काम से आशिकी रखते थे
हम जीते जी नाकाम रहे
ना इश्क किया ना काम किया
काम इश्क़ में आड़े आता रहा
और इश्क़ से काम उलझता रहा
फिर आखिर तंग आकर हमने
दोनों को अधूरा छोड़ दिया..💔-
मैं खुदको ढूंढ़ लेता हूं,
तुम खुदको ढूंढ़ लेना!
अपनी अपनी तलाश में,
मैं और तुम हम हो जाएंगे!❤️-
अभी तो बस तुमसे इश्क़ हुआ है,
तेरी मोहब्बत का गुरूर होना अभी बाकी है....
अभी तो लोग मुझे मेरे नाम से जानते हैं,
तेरे नाम से मशहूर होना अभी बाकी है...❤️-
मुझे मुझमें दी गई पहचान है तू,
मेरा आदर, मान और सम्मान है तू,
इंसान के रूप में जीता जागता भगवान है तू,
मां, मेरी जान है तू।।❤️-
समन्दर की लहरों के आपस में टकराने पर,
में कलम उठा कर लिखने लगती हूं तेरी याद आने पर,
माना पहली सी चाहत नहीं रही मेरे दिल में तेरे लिए,
मगर ना जाने क्यों मै आज भी मुस्कुराने लगती हूं तेरे मुस्कुराने पर।।-