ग़म-ए-हयात में डूबता हूँ ग़म-खाता हूँ
इस तरह से मैं तुमको सुकूँ पहुंचाता हूँ
एक तू था कि जिससे रोशन थी सुब्हें मिरी
अब सुब्ह को मैं सिर्फ़ काम पर जाता हूँ
दिन भर ज़िंदा रहने की जद्दोजहद में
शाम के बाद मैं मर जाता हूँ
तूने इश्क़ में आला शक़्लें चुनी थी
मैं तिरे रंगीं बालों में अब भी खो जाता हूँ
यूँ तो हज़ार सवाल है ज़ेहन में 'मनोज'
क्या गाहे-बगाहे मैं तुझको अब भी याद आता हूँ-
Manoj Sahu
(Manoz©)
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Navodayan 😊
छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया 💪✌️
परम आशावादी 🙌
अंग्रेज़ी साहित्य का छात्र हूँ।
इस विच... read more
छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया 💪✌️
परम आशावादी 🙌
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Joined 10 August 2019
6 MAY 2024 AT 1:19
2 JUN 2021 AT 19:41
तह करके सलीके से रखें हैं
मैंने मुझमें कई लोग रखें हैं
चराग़ की ये भी है एक फ़ितरत की
उसको जलाने वालों को भी उसने जला रखें हैं
तू मुतमइन है की घर से निकलता नही 'मनोज'
अरे हमने तो अच्छे अच्छों को ठिकाने लगा रखें हैं-
1 JUN 2021 AT 17:41
कुछ अश्क़ यकसर भी बरबाद करते हैं हम
उससे कहना उसे अब भी याद करते है हम
-Manojsahu2021©-