जख्म मिला वही,
इसबार भी!
तरीका नया था,
जिससे शब भर दहलते रहे॥-
क्या नदी और क्या नाला,
मैं सबको अपनाता हूँ।
मुझे आप ... read more
आंखो की पौर हो जाती हैं गीली,
जब भी तुम्हारी यादो की गली से गुजरता हूँ,
बड़ा डरपोक हूँ!
ये सच है, बिल्कूल सच;
तुम बिछ्ड़ ना जाओ मुझसे! इस बात से डरता हूँ॥
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इश्क तुझको भी हैं मुझसे..
पता ये तुझको भी हैं..पता मुझको भी,
एक कोने में सजकर खड़ी हैं तू,
किसी और के लिए,
एक कोने पे मैं बैठा हूँ, शबनम की बुंद सा!
पता ये तुझकों भी हैं... पता मुझको भी,
ख्वाहिशो के पत्ते गिर रहे हैं....यूं
जिन्दगीं की शाख से, सुखकर..!
होगें फिर कभी न धानी,
पता ये तुझको भी हैं.. पता मुझको भी।।-
हे आदिदेव, महादेव मेरे..
दुर्दांत बड़ा ये तृष्णा का साया रे,
अब हाथ बड़ा, संभाल जरा,
मैं शरण में तेरी आया रे।।
....
सुना दीन का हितकर हैं तू,
आशुतोष अभ्यंकर हैं,
शब्द तू ही, स्वर तू ही,
आरंभ, अंत, मध्यान्तर हैं!
हे शंभु, हे कल्याणक, हे चन्द्रमौली,
तुझमें सर्वस्व समाया रे... मैं शरण में तेरी आया रे।।
....
भोलानाथ दयामय मेरे,
दर से तेरे, खाली कोई ना जाते हैं,
रावण, जलन्धर हो, या भस्मासुर,
सिद्धि सब तुझसे पाते हैं..
शुक्राचार्य को तूने ही तो, मंत्र मृतसंजीवनी पढ़ाया रे,
मैं शरण में तेरी आया रे।।
...
अब आया हूँ तो नाथ मेरे,
इतनी कृपा तू कर लेना..
हे औघड़दानी, हे मसानी,
शरणागत के दुःख हर लेना..
शिव हैं तू.. जीव मैं अनघड़,
कब समझ मैं तुझको पाया रे,
मैं शरण में तेरी आया रे।।-
आँखो में मेरी अश्क थे जब,
दुर तुम्हारा साया था...,
उस पर भी गजब, यार मेरे!
कि; मैंने तुफान उठाया था।।-
ये सारे दर्द, जो तुझे रूलाते हैं..
नामुराद सारे, मुझे देख छुप जाते हैं,
तू सच बता.. क्या रिश्तेदारियां कर बैठी हैं, इनसे!
अब तो तेरी मुस्कान में भी, नजर आते हैं।।-
सुनो! उमा, तुम प्रिय हमारी,
रुद्री, शक्ति, शोक-नशावन, हो कल्याण की कारी।।
गिरिजा तुम हो वत्सला, सब पुत्र हैं.. सम गजानन के,
इन्हे उठाओ, हिय से लगाओ; ये फुल तुम्हारे आंगन के,
भूल करना आदत हैं इनकी, ये मनुज शरीर के धारी जो,
अन्नपूर्णा हो, तजो क्रोध तूम, हे स्कन्द की मातारी।।१।।
हठी, लम्पट, लोभी, खल, अज्ञानी.. पर सब अपने ही जाये हैं,
काटोगी क्या तूम? हरी कोपले.. जो निज हाथो से खिलायें हैं,
दुर्गा दुर्गति नाश करो, लौटेगे ये! अपनों पर विश्वास करों,
काया, माया, यश, उपलब्धि.. तुम में हैं सृष्टि सारी।।२।।-
तुझको नमन स्वीकार हो मेरा,
मेरी मां भारती.. 🙏
शीश थाल में रख, वीर जहां..
करते हैं तेरी आरती.. हे भारती! मां भारती।। १ ।।
मुझको तो मां, तेरे यहां का..
कण-कण प्यारा हैं,
तेरे दुध से मैं पला मां,
तू ही तो सहारा हैं..
मांग ले मां, है सबकुछ तेरा,
काहे को विचारती.. हे भारती! मां भारती।। २ ।।
बन शिवा की वीर भवानी,
रण में गौरव पा जाऊ,
या फिर राणा के चेतक सा,
अपने प्राण लुटा जाऊ,
शहीदो की अमर आत्मा..
बस यही उच्चारती.. हे भारती! मां भारती।। ३ ।।
गुरुजी (गोवलकर गुरुजी) के शिष्य,
कब तक पाप हमारे धोयेगे,
कब तक चांटे खायेगें हम.. और,
कब तक यूं ही रोयेगे ?
स्वभीरूता को,
आत्मा हैं धिक्कारती.. हे भारती! मां भारती।। ४ ।।
ऊंच और नीच की, क्यों हमने पैदा की खाई?
मात्र इसीलिए.. धर्म बदल रहे भाई,
अपने मंदीर बाहर बैठे,
मैं कैसे करूं तेरी आरती.. हे भारती! मां भारती।। ५।।
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तुमको मेरा गंवारपन.. ग़र नागवार हो,
मेरे इस पागलपन से, डरता तुम्हारा प्यार हो।
तो जाओ.. तुम्हे सपनो से मेरे आजाद करता हूँ,
जिनके पुरा होने की, हर वक्त रब से फरियाद करता हूँ।
ग़र इश्क मेरा सच्चा होगा.. तो जिद है मेरी,
एक दिन मिलने आओगी,
चुम लोगी लब को मेरे, मुझे गले लगाओगी।
अब ये मैसेजो की लेनी-देनी का,
व्यापार खत्म मैं करता हूँ..!
डीपी में तुझे बस देखुगां, स्टेट्स वाले विचार खत्म,
मैं करता हूँ।
शब्दो में बहुत कुछ कह दिया..
अब मौन हैं स्वीकार मुझे..,
काली-लड़की कल था जितना,
उतना ही सदा रहेगा प्यार मुझे।।
......
जय जय 🙏-
गजब विधान तुम्हारा था,
अजब संविधान तुम्हारा था,
पल में पागल, पल में अच्छा..,
करता भगवान तुम्हारा था।
....
प्रेम के अलावा भी जीवन,
ये वक्तव्य तुम्हारा था,
प्रेमी नहीं अब मित्र तुम मेरे,
कहकर मुझे धिक्कारा था,
मुझे कुछ समझ नहीं आता,
मैं अनघड़, निपट गंवार हूँ,
खाक छानू मैं शहर की तेरे..
क्या इसलिए दिल ने तेरे पुकारा था?
Happy friendship day dear 😊
मेरे लिए हैप्पी दिवाली बहुत हैं 🌺🙏-