अगर तुम रिश्तों में मतलब का नफा नुकसान सिख गए....
ज़ज़्बातों का दौर कब का गुजर चुका,
यह भी अच्छा है जो आशिक जिस्मों की तलब में रिश्ता निभाना सीख गए....
गम,मुश्किल,खुशी,हंसी,रोग,दवा मसले तमाम है,
यह भी अच्छा है जो तुम तरह-तरह से चेहरा लगाना सीख गए....
मालूम नही कल किधर होगा चैन की हवाओ का रुख,
यह भी अच्छा है जो तुम बेशर्मी पर पर्दा रखना सिख गए....
खैर यह बात और हैं जाने वाले नही आते लौटकर,
यह भी अच्छा है जो तुम जीते जी अपनो को भूलना सीख गए....
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