Me :प्रभु मुझे कभी मेरे अपनों से दूर मत करना.......😌🙏
प्रभु :अब सच में कोई option नहीं है आजाओ मेरे करीब..... 🧿😍-
तल्खियां मुझे तमाम कर गई......
थामना चाहा जिसमें लम्हों को अक्सर जल्दी करके वो शाम गुज़र गई।।-
बिछड़कर वो मुझसे किसी औऱ का मुरीद हो गए.....
शुक्रिया उन तल्ख़यों का जिनकी बदौलत हम खुदा के मुरीद हो गए...-
अब घर में सब वीरान-सा है,
रौनक थी जिनसे आजकल घर के वो मेहमान कहां है।
जरूरत का सारा सामान हैं घर में,
जो काम आ जाए हर कहीं घर का वो इंसान कहां हैं।
बात तो कर लेती हैं घर की खूबसूरत द्रो-दीवारे भी,
जो बेबाक हंसता रहे घर का वो मकान कहां हैं।
सब जाना पहचाना सा ही हैं इधर-उधर,अंदर-बाहर,
कोई नई, दस्तक अजनबी दे, आजकल वो अनजान कहां हैं।
आदत,इबादत, वस्ल,वकार तो ठीक हैं,
जो मीरा,रूमी,कलंदर,कबीरा बना दे शख्स को आजकल वो भगवान कहां हैं।
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मासूमियत के हवाले ज़िन्दगी ने गम किये चार....
एक वो, दूसरा उसपर एतबार, फिर उससे इज़हार,उसपे भी उसी का इंतज़ार....-
जज़्बातों की कद्र भूल जाते हैं लोग;
मन भर जाने के बाद....
ज़ख्म से ज़्यादा ज़रूरी हैं मरहम;
कद्र भूल जाते है लोग जख्म भर जाने के बाद...
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अब भरी आँखे, खाली हाथ लेकर.....
दुआओं को कोई बाजार नही,
यादों का कोई खरीददार नहीं।-
मैं कभी बच्चा कभी इश्क़ में क़लन्दर होना चाहता हूं,
मैं कुछ भी नही फक्त मेरे घर को घर दिल को दिल ही रखना चाहता हूं।-
शौक़-ऐ-शायरी में मैने वक्त किया हैं बहुत बर्बाद,
जब वक्त की बारी आई तो उसने मुझे इश्क़ से नवाजा।-
वो सददफ़ हैं मैं ठहरा सब्र.....
उसमें सिद्दत हैं मेरा हो जाने की,
मुझे आदत हैं उसको देखकर खो जाने की।-