Manoj Kumar Singh   (Manoj)
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Associate Professor, Biotechnology
Joined 2 October 2019


Associate Professor, Biotechnology
Joined 2 October 2019
29 MAR AT 13:32

एक अरसा हो गया ख़ुद से मिले हुए
ख़ुद को ढूंढने कहां जाएं
मेरा जमीर मुझे रोकता रहा
मैंने खुद ही खुद से फासले बनाए
कई बार आवाज़ दी ख़ुद को
कि मैं कहां हूं
शायद खुद से रूठा हूं
या कहीं खो गया हूं

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6 MAR AT 8:23

हम फुलों सा अरमां लिए
तेरी राहों में चलते हैं
वो पत्थर सा दिल के लिए
यूं ही कुचलते हैं

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27 FEB AT 8:47

तेरे हिज़्र में तन्हाइयाँ अजीब सी खामोश हैं
तेरे चर्चे सुनने महफ़िल ना जायें तो कहाँ जायें

Tere hizr me
tanhaiyaan ajeeb si khaamosh hain
Tere charche sunane
mahafil na jaayen to kahaan jaayen

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17 JAN AT 8:26

क्या मुझसे प्यार करती हो?
करती हो, तो बता दो l
करती हो पर डरती हो ?
डरती हो तो बता दो l
क्या मैं ही फना हूं तुझपे
या तुम भी मुझपे मरती हो ?
मरती हो तो बता दो l
इंतज़ार में उम्र ना बीत जाए,
कुछ तो इशारा करो
कोई तो इत्तला दो l
हया की हद‌ तोड़ो
झुकी नज़रें उठा दो
सुलगते मेरे अरमानों को
ज़रा पलकों की हवा दो

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6 JAN AT 8:44

Naya saal, naye vaade, nayi ummiden
Sab bas mugalte hain
December aate aate January ke
Saare khwab bikhar jaate hain

नया साल, नये वादे, नयी उम्मीदें
सब बस मुग़ालते हैं
दिसम्बर आते आते जनवरी के
सारे ख़्वाब बिखर जाते हैं

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22 OCT 2024 AT 18:06

बिछड़ के तुझसे एक उम्र हमें जीना था
मेरे जिगर पे खून तेरे हाथों में हिना था

कैसे भूले, तू मुझमें है इस क़दर शामिल
तोड़ी जो तसवीर तेरी, वो तो आइना था

Bichad ke tujhse ek umr hume jeena tha
Mere jigar pe khoon tere haathon me hina tha

Kaise bhoole, tu mujhme hai is qadar shaamil
Todi jo tasveer teri, vo to aaina tha

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26 SEP 2024 AT 8:58

उसे शायद ये गुमां होगा
कि वो तय कर रहा, शहर में आग या धुआं होगा
बंदा बेख़बर, कि हमने लिख रखा है
कब कहाँ कैसे क्या होगा

use shaayad ye gumaan hoga
ki vo tay kar raha,
shahar mein aag ya dhuaan hoga
banda bekhabar,
ki humne likh rakha hai
kab kahaan kaise kya hoga

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25 SEP 2024 AT 19:25

बड़ा आसान है किसी को मशवरा देना
जब उसपे बीते, तो ये बात उसे बता देना

जो आंधियां उड़ा ले गईं मिन्नतें मेरी, वो,
रोशनी की तलाश में हो तो उसे दिया देना
जो अपने ऐब को अपना हुनर बताते हैं
एक रोज़ यूं भी उनका इम्तेहा लेना

तेरी तलाश में ख़ाक छान रहे दुनिया की
वर्ना हमें दुनिया से क्या लेना
©Manoj

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20 SEP 2024 AT 8:33

कि तेरी याद के साये मेरी आँखों में रहते हैं 
ये पत्थर सी मेरी आँखों से जल के धार बहते हैं

अब हम ना आह करते हैं अब हम ना वाह करते हैं 
ज़माने भर के तानों को अब हम चुप चाप सहते हैं

तुम्हें हम भूल जाने की जुगत हर बार करते हैं 
मगर कोई भी महफ़िल हो तेरी ही बात कहते हैं

कि तन्हाई में अब तो खुद को मैंने बांध रखा है 
मगर कमरों की दीवारों में तेरे अक्स उभरते हैं
©️Manoj

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21 AUG 2024 AT 21:15

अब जो कोई दिल तोड़े तो मुस्कुरा देते हैं
हम वो हैं जो जफ़ा के बदले भी वफ़ा देते हैं

Ab Jo koi Dil tode to
muskura dete Hain
Hum wo Hain Jo jafa ke badle bhi
wafa dete Hain
©️ Manoj






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