Manoj Kumar   (मनोज)
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Joined 4 March 2020


Joined 4 March 2020
14 JAN 2022 AT 0:39

आईने परदे में कर दो ना,
इन आँखों को मेरी ओर कर दो ना।

ये गुस्ताख दिल सवाल करता हैं,
जरा ये सवाल भी हल कर दो ना।

यादें दिखती नहीं बहुत शोर करती हैं,
इस शोर को जरा और कर दो ना।

मैं कदम से कदम मिला कर चलता हूँ,
तुम हाथ से हाथ कर दो ना।

ये हसीन सपने लिए फिरता हूँ,
तुम हकीकत के रंग भर दो ना।

आईने परदे में कर दो ना
इन आँखों को मेरी ओर कर दो ना।

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3 JAN 2022 AT 18:10

घर से दूर जाकर छाँव ढूंढ़ लूंगा मैं,
लौ बुझा दूँगा मगर पेड़ ढूंढ़ लूंगा मैं।

शहर के शहर देखे हैं अंधेरे में मैंने,
आँधियाँ होंगी मगर जुगनू ढूंढ लूंगा मैं।

किस्मत पर ऐतबार कहाँ अब मुझे,
किस्मत ना होगी मगर खुदा ढूंढ लूंगा मैं।

बारिशें तेज होगी शहर भर में,
इंतजार में मगर छतरी ढूंढ लूंगा मैं।

चमक कम हो अगर चेहरे पर तेरे,
अंधेरा होगा मगर चाँद ढूंढ लूंगा मैं।

तुम्हें कहीं जाना तो नहीं ना दोस्त,
वो जहाँ होगी मगर घर ढूंढ लूंगा मैं।






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29 DEC 2021 AT 12:01

मेरी पहेली को सुलझा दोगी ना तुम
मैं हार रहा हूँ जीता दोगी ना तुम
यूँ तो काफी झगड़ालू रहे हैं हम
इस बार झगड़े मिटा दोगी ना तुम

यूँ तो कहानियां बुनते आया हूँ मैं
इस दफा मेरी कहानी लिख दोगी ना तुम
कितनी सरल सी कहानी हैं मेरी
इस दफा दो दिल एक बना दोगी ना तुम

मेरी पहेली को सुलझा दोगी ना तुम
मैं हार रहा हूँ जीता दोगी ना तुम...

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19 DEC 2021 AT 0:55

बात करते हैं ख्यालों की वक्त हैं क्या
जज्बात तुम्हारे रो दिये सब मस्त हैं क्या।

किस किस की बात लेके बैठे रहते हो तुम
मगज तुम्हारे सब खस्त हैं क्या।

वो डायरी लेकर हँसते रहते हैं
शेर तुम्हारे जबरदस्त हैं क्या।

कहाँ कहाँ फैली इश्क की बातें तुम्हारी
शहर तुम्हारे अखबार व्यस्त हैं क्या।

बातें खत्म नहीं होती दिन में भी रातों की
गली तुम्हारे सूर्य अस्त हैं क्या।

कहाँ तुम भी शायरी लेके बैठे मनोज
मिजाज तुम्हारे दिल के सुस्त हैं क्या।

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18 DEC 2021 AT 0:26

तेरा ख्याल कैसा,मुझसे नहीं मिलता
ये गम कैसा इसका हिसाब नहीं मिलता।

वो दूर की बात को जेहन पर लेके बैठी हैं
उस से कहो हर बात का जवाब नहीं मिलता।

तेरी छोटी सी हँसी पर कुर्बान करदूँ जिंदगी
छोटी खुशी पर कुर्बानी का मायना नहीं मिलता।

आँसुओ को रोक कर रख लेती हैं वो
अब आँसुओ का वाजिब दाम नहीं मिलता।

मैं डायरी लेकर सोचता रहा रात भर
कितना लिखूँ तुझ पर कोई छोर नहीं मिलता।

पागलपन देखा हैं सबके इश्क में यहाँ
किसको पता इस शहर ये किरदार नहीं मिलता।

तुझको किस बात का गम हैं मनोज
गमों का दायरा छोटा हैं कोई खरीददार नहीं मिलता।

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3 DEC 2021 AT 22:36

ये दिल मेरा हर किसी को खास नहीं समझता
किसी के ख्याल में रहता मेरा हाल नहीं समझता

किस किस से पूछूँ तेरी खैरियत तू बता
तू जान कर भी मेरा दर्द नहीं समझता

किसी सूखे पत्ते सा हो गया हूँ जिंदगी
पत्ता घर का या बाहर का पेड़ नहीं समझता

किसी नशे से गुजर के आया हूँ मैं
किस नशे मैं हूँ मयखाना नहीं समझता

जैसा हूँ वैसा दिखा देता हैं आइना,
अन्दर की बात आइना नहीं समझता

तुम कहाँ इश्क की बात लेके बैठे हो दोस्त
हर कोई बेवफा हैं वफा की बात नहीं समझता






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15 OCT 2021 AT 16:40

Khush rhne ki har wajah bemisaal hoti hain
Tujh se milne ki har wajah lajwab hoti hain
Jra se tere saath ko tarsh te rhte hmesha
Jra si teri yaad ki khushi behisaab hoti hain....

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11 JUL 2021 AT 13:58

साया तेरा चाहिए तू कहे तो ही तेरा साथ चाहिए,
इतनी मोहब्बत हैं तुम्हे देखने की भी इजाजत चाहिए।

मेरी ख्वाहिशें ही पूछती रहीं मुझसे,
तुम्हें ना मिलने वाली ही मोहब्बत क्यूँ चाहिए।

कैसी खुदगर्जी हैं मेरी तेरी चाहत को लेकर,
तुझे ना जता कर भी तेरा एहसास चाहिए।

मैं किताबें भी यही सोचकर पढता रहा,
तुम्हें पढ़ने के बाद तेरा हर अक्षर याद चाहिए।

मैं रात में तारों को निहार कर सोचता हूँ,
वो टूटेगा मेरे लिए उसे मेरी खुशी चाहिए।

तेरे एक साये को पाकर खुश हैं मनोज,
किसी के वजूद की बस एक वजह चाहिए।

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7 JUL 2021 AT 16:17

इतना बेचैन क्यूँ किसी अनजान को लेकर,
उसे कोई खबर नहीं मेरी चाहत को लेकर,

तेरी सुबह इतनी मयस्सर क्यूँ हैं,
मेरी रातें बेखबर सुबह को लेकर।

कौंन बहस करें इश्क की रिहाई पर,
कोई सबूत नहीं गुनाहों को लेकर।

पढ़ लिख के भी काबिल नहीं किसी के हम,
तुम्हें यकीन नहीं शायर को लेकर।

ना तूने जाना बिछड़ कर हाल मेरा मनोज,
कितना रोये हम किसी अनजान को लेकर।



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30 JUN 2021 AT 15:47

किसी शहर में मेरी तकदीर खो गई,
किसी शहर में मेरी शोहरत हो गई।

किताबों में उलझ के निकला था मैं,
किताबों में मेरी खामोशी खो गई।

आज जिंदगी में इस मुकाम पर हूँ,
लोगों की जुबां पर मेरी कहानी हो गई।

प्यार शोहरत दौलत सब लौट आये अब,
लगता हैं किताबों की कहानी सच हो गई।

मेहनत करोगे तो ही रंग लाएगी,
बिना मेहनत कितनो की जिंदगी रंगीन हो गई।

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