चलते चलते यूँ ही आज एक नज़र उसे देखा,
कदम ले गए फिर जहाँ जिस डगर उसे देखा।
मत पूछो शाम और सहर, कब किस किस पल,
मैंने बस हर पल, हर घड़ी, हर पहर उसे देखा।
उस पर क़यामत यह कि है वो ख़ूबसूरत इतनी,
कि एक रोज़ चाँद ने चुपके से निखर उसे देखा।
ज़बाँ ने जब कुछ कहा, हमने कहाँ कुछ सुना,
दिल से बाज़ी हारकर, हमने बेखबर उसे देखा।
पूछा नज़रों ने आईने में देख 'मन' यह तुम नहीं,
किया ख़ुद में शामिल उसे, इस कदर उसे देखा।
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