उम्मीदों के रोशन में रोशन रहे सदा
अंधेरों के पहर में भी उम्मीदें थकती है कहां
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कोई मौजों में गाता है
कोई अभावों में सोता है
यह जिंदगी का फलसफा है मेरे दोस्त,
यहां हंसते को ओर हंसाया जाता है
वहीं रोते को ओर रूलाया जाता है।
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प्रिय पिताजी ♥️
आप साथ हो तो क्या गम है
लगे हर मुश्किल कम है
पहुंच जाएंगे उन ऊंचाइयों पर,
आपका आशीर्वाद क्या कम है।
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डूबे जहाजों के पतवारों को पुछना
न डूबने का ऐतवार उनको भी था,
पर तुम तो चले दूसरों के भरोसे
डूबना तो हरगिज था।
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एहसास सिमटे रहे लफ्जों में तो एहसान, कुछ बाकी है
गर न उतरे पन्नों पर तो पराया होता अपनापन, कुछ बाकी है
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"यादों की बिसात से"
'कहीं मुकम्मल स्वप्न हुए, कहीं विफल जतन हुए
आंसू छलके आंखों से, भारी कुछ मन हुए '-
उस घर की चौखट,बेरंग नजर आई l
जिस घर में खाली, चारपाई नजर आई ll
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"कोरोना का कहर"
जलती चिताए श्मशानों में, डूब रहे घर अंधेरों में
थमती आशाएं तहखानों में, बुझ रहे चिराग सवेरो में
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क्या मिला, क्या न मिला
न अफसोस कर, न गीला
पता नहीं किसी को भी कब तक है
इन सांसों का सिलसिला।
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बिखरे अल्फाज, इन खामोशियों से
टूटता रहा मन ,इन नाकामियों से
लाख कोशिशों का जत्न फिर भी,
अपने गुजर रहे इन आबादियों से ।-