डर है कि तुझे मुझसे कहीं मोहब्बत ना हो जाए..
एक तरफ़ा ये मेरा इश्क़ कहीं दो तरफ़ा ना हो जाए...
गर इश्क़ हो दो तरफ़ा, तो कम हो जाती हैं चाहत..
ख़्वाब मुकम्मल हो जाएं तो ख़त्म हो जाती है हसरत..-
कबीर ने मगहर को चुना..
" मृत्यु के लिए"
बुद्ध ने हिमालय की गोद,
सुकरात और मीरा ने ज़हर के प्याले..
मैं चाहता हूं!...
ज़िन्दगी के आख़री क्षण
मैं उस जगह रहूं, जहां हम पहली बार मिलें थे..
मेरे सिरहाने एक अदद सी यादें हो तुम्हारी..
आंखों में अधूरी हसरतें हो,
कुछ बूंद आंसू हो, सब कुछ उस पल भी
याद हो मुझे..
तुम्हारे हाथों के छुअन मुझे महसूस हो..
भोर का तारा फिर से मेरे सामने हो..
और मुसाफ़िर चाँद बस डूबने ही वाला हो..
फिर एक गहरा अंधेरा छा जाए,
डूबती नज़्म के साथ मैं तुम्हें धीरे से पुकारूं..
"और बस मेरी साँसे थम जाए"...-
कबीर ने मगहर को चुना..
" मृत्यु के लिए"
बुद्ध ने हिमालय की गोद,
सुकरात और मीरा ने ज़हर के प्याले..
मैं चाहता हूं!...
ज़िन्दगी के आख़री क्षण
मैं उस जगह रहूं, जहां हम पहली बार मिलें थे..
मेरे सिरहाने एक अदद सी यादें हो तुम्हारी..
आंखों में अधूरी हसरतें हो,
कुछ बूंद आंसू हो, सब कुछ उस पल भी
याद हो मुझे..
तुम्हारे हाथों के छुअन मुझे महसूस हो..
भोर का तारा फिर से मेरे सामने हो..
और मुसाफ़िर चाँद बस डूबने ही वाला हो..
फिर एक गहरा अंधेरा छा जाए,
डूबती नज़्म के साथ मैं तुम्हें धीरे से पुकारूं..
"और बस मेरी साँसे थम जाए"...-
"मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ" / करती हूँ...!
यह एक झूठ है, जो अधिकतर बोला जाता है।
और सुनने में बहुत अच्छा लगता है।
परंतु यह सत्य नही है!
क्योंकि प्रेम कभी कम या ज्यादा नही होता
यह शाश्वत होता है, पूरा होता है, पूर्ण होता है..
अनुपात में नही होता..!
🙏सादर🙏-
एक कड़वी और सच्ची हक़ीक़त है, जिसे तुम सपना मानते हो..
मेरा थूका हुआ शख़्स है वो, जिसे तुम अपना मानते हो..-
किसी काफ़िर सा रंग बदलता मिलता है
एक ही ग़म हमे कितनी दफ़ा मिलता है.!!
हमने इसीलिए तुझसे दूरियां बढ़ाई क्योंकि,
प्यार गहरा हो तो घाव भी गहरा मिलता है.!!-
तुम्ही पे मरता है ये दिल,अदावत क्यों नही करता!
कई जन्मों से बंदी है, बगावत क्यों नही करता!!
कभी तुमसे थी जो, वही शिकायत है जमाने से!
मेरी तारीफ़ करता है, मोहब्बत क्यों नही करता!!-
न जाने कितनी इबारतें बंद पड़ी है
इन यादों की किताबों में..
मैं जब भी पन्ने पलट कर देखता हूँ..
तो, लगता है की जैसे..
"तुम यहीं हो,
बस यहीं कहीं हो”-
क्या सितम हुआ मेरी वफाओं में..!
क्या सज़ा मिली मुझे इन राहों में..!!
मैं बरसों से मर रहा था जिस शख़्स पर..!
वो दफ़्न हो गया किसी और कि बाहों में..!!-
नींद से मेरा बरसों से कोई वास्ता नही..
तेरे आने की ख़ुशी से मैं सो नही पाता..
और तेरे जाने का गम मुझे सोने नही देता..-