जो मन में आये
अलूल -जलूल , बेफिजूल
उल्टा-सीधा, सच्चा -झूठा
नयी बात,पुरानी बात
आज की बात,कल की बात
कुछ भी लिख दो✍️
और कुछ नहीं तो
मन तो हल्का हो जायेगा।😊
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अपनी भावनाओं की स्याही
मैं तुमपे बारती हूं ।
फिर भी तुम निस्तब्ध हो
क्यों ख़ामोश रहते हो?
क्यों न कभी गले से लगा मुझे
अपना हमदम कहते हो।
तुम्हारी कीमत क्यों अधिक
और हमारी कम आंकी जाती है
सच तो यह हैं
मेरा बिना तुम्हारा कोई
वजूद ही नहीं है।-
हिसाब-किताब जब लगायी तो
अफसोस करने बैठी,
अपनी भावनाओं को वहां-वहां खर्च कर दी
जहां इसे भाव ही न मिला ।
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जीवन में ये नहीं मिला
वो नहीं मिला
सोचना ही व्यर्थ है
जो मिला
खुशी से स्वीकार कर
संतुष्टि से जियें।😊😊-
चल कही दूर झूठी रश्मों -रिवाजों से ,
मन से मन का गठबंधन कर
सो जाए रख सर कंधे पर तेरे ।
आंख जो खुले तो फिर खो जाए तेरी बातों में ।
चल कहीं दूर निकल जाए।
कोई हमदम हैं,चाहत के काबिल
तो किसलिए हम सम्भल जायें
चल कहीं दूर निकल जायें।🎶🎶
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बहुत गुस्सा आता है ,
उसे मैं मना करती हूं काम के वक्त मत आओ
बेमुरव्वत सुनता नहीं ,
ना समय देखती न जगह
बस जबरदस्ती आके मेरे से बतियाने लगती हैं।-
हाथों के हथ-संकर कंगन झूमर से
बढ़ जाती है हाथों की शोभा भरपूर
पर कभी कभी ये शोभा
कलम किताबों से हाथों को कर देती हैं दूर
थमा देती है हाथों में जिम्मेदारी की गणित किताब
बस करते रहिए न खत्म होने वाली सवालों का हल।
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तेरे पाॅंव के नीचे रख दिया मैंने अपना दिल,
जरा सम्भलकर उठा कदम ऐ हसीना,
बड़ा नाज़ुक है दिल मेरा कहीं टूट न जाए।❤️-