Mann ki bhawna   (भावना)
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i am a science student
Joined 28 May 2019


i am a science student
Joined 28 May 2019
8 DEC 2022 AT 15:20

कुछ नहीं था सदा उम्र भर के लिए
लौट आना था तुमको ही घर के लिए

किस तरह से वो वादें जलाओंगे अब
जो रक्खें थे मुक़म्मल सफ़र के लिए

याद रखना जो वो रौशनी है वहाँ
वो बनी है किसी रेहबर के लिए

झूठ बोला मगर सादगी से भरा
सच नहीं था बना उस ख़बर के लिए

सी गए थे ज़ख्म तुमने छेड़े है क्यों
नोच लो अब इन्हें कुछ सबर के लिए

किसने चाहा था वो बस मुसाफिर बने
पर हुआ ये कि भटके हुनर के लिए...

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30 NOV 2022 AT 17:40

सिर्फ़ तेरा ही होना नहीं था सखी
एक पहलू तो सिक्का नहीं था सखी

जिसको आवाज़ देकर बुला ना सकें
वो कभी भी तुम्हारा नहीं था सखी

थी कसक जो इधर अधमरी सी रही
जिसको आता भी रोना नहीं था सखी

'भावना' वैसे ऐसे किसी की नहीं
उसका चहरा पराया नहीं था सखी

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13 NOV 2021 AT 18:10

टोकना, सोचना, झाकना, देखना
पर मगर जो गया उसको क्या रोकना

इन लकीरों की क्या गलतियाँ थी भला
उसको होना नहीं था तेरा 'भावना '

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11 NOV 2021 AT 11:57

हौसलों से ये मंजर बदल जाएगा
रात कट जाएंगी दिन निकल जाएगा

वो किनारा मेहज़ इक किराना नहीं
उसके होने से दरिया संभल जाएगा

जो गया लौटकर वो भी क्या आएगा
रंग पानी का पानी में मिल जाएगा

उससे बोलो कि क्या तेरी औकात है
ठोस लोहा भी इक रोज ग़ल जाएगा

क्यूँ निकलकर नहीं जाएगा 'भावना'!
वक़्त तब तक भला और टल जाएगा

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31 AUG 2021 AT 14:34

तुम कर लोंगे

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20 JUL 2021 AT 14:54

चल दिए हर हाल में

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6 JUL 2021 AT 10:12

शब्द ही नहीं है...

नानी
I♥️U
कभी नहीं कहा
पर अब कोई फ़ायदा नहीं


होना था
तो पता लगा
ना होना क्या होता हैँ


जब कोई बच्ची ट्रैन में छूट जाती हैँ
तब तुम्हारी बहुत याद आती हैँ

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19 MAY 2021 AT 13:13

सहारा है नहीं दुनियां में कोई
मैं हूँ ये ही तो मेरा सहारा है

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10 MAY 2021 AT 10:41

दो वक्त की रोटी को आसान न समझो
किसी की उम्र ले जाती है ये दो वक्त की रोटी
किसी का सब्र ले जाती है ये दो वक्त की रोटी
और कहना बहुत आसान है साहिब
आपका काम दो वक्त रोटी

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9 MAY 2021 AT 21:15

सफ़र तन्हा करो मंजिल मिलेगी
नहीं तो साथ को खोते रहोगे

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