मां थी तो सपने भी सच बनकर खिले...
उनके बाद तो लोग भी अच्छे नहीं मिले....-
ज़्यादा दूरी भी ठीक नहीं होती ,
इंसान खो देता है,
अपनी अहमियत ,
अपनापन और प्यार.....-
ये पुस्तकें
और !!!
तुम.....
मुझे इक जैसे ही लगते हो
मार्गदर्शन,साथ और सहयोग
मुझे हर अवसर पर देते हो.....-
चांद सितारे, फूल और बगिया
सब अपने से लगते हैं ...
कांधे पे सर रख तेरे
क़िस्से भी सच्चे लगते हैं ...-
रिश्ता कभी अचानक नहीं टूटता, उसे खत्म होने में वक्त लगता है। दो इंसानों के बीच बना रिश्ता केवल साथ नहीं, भावनाओं और यादों का संगम होता है। जब ये दो लोग अलग होते हैं, तो सिर्फ वो दोनों ही नहीं बिछड़ते, बल्कि वो एहसास भी तड़पते हैं जो उन्हें जोड़े हुए थे। रिश्ते को टूटने में दर्द, चुप्पी और असमंजस की लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। धीरे-धीरे संवाद खत्म होता है, फासले बढ़ते हैं, और एक दिन वह रिश्ता, जो कभी बहुत गहरा था, पूरी तरह खत्म हो जाता है—हमेशा के लिए....!!
एक अधूरी कहानी बनकर।-