Manjusha Singh   (Manjusha Singh)
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प्रेम बिना कछु नाहीं, प्रेम बने प्रपंच।प्रेम बिना त्याग नाहीं, भय करें विध्वंस।
Joined 24 November 2017


प्रेम बिना कछु नाहीं, प्रेम बने प्रपंच।प्रेम बिना त्याग नाहीं, भय करें विध्वंस।
Joined 24 November 2017
24 DEC 2023 AT 19:53

Mother, मां, मम्मी,mom,mum, कुछ भी कहे लीजिए संसार समाया है इस शब्द में। यह पर्वत से ज़्यादा ऊंची और संबल,नदी के जल की तरह शीतल और अग्नि की तरह तपिश रखती है अपनी ममता में।

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27 NOV 2023 AT 23:27

थोड़ा वक़्त मिल जाता
थोड़ी उम्मीद बची होती
थोड़ी बिना रूकावट की खुशी मिल जाती
काश पैसों से इंसान की तकदीर ना खरिदी जाती
काश कुछ मुक्कदरों को उधार मिल जाता।

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5 JAN 2022 AT 12:22

एक निकम्मापन सा लगता है
जब आप हाथ पर धरे हाथ बैठे रहते हो
जब आपके पास सिर्फ एक ही काम हो
बंधुआ मज़दूर की तरह लगता है
जब आपके हिस्से में आया कोई काम
दुसरों की मर्ज़ी से करना पड़े
जब आपका सोना जगना
दुसरों की मर्ज़ी से होता है
तब लगता है आप कैदी है किसी जेल के
और सज़ा काट रहे हो बेगुनाही की
कितने ही घर के चुल्हे जलाने वाले हाथ
और घर को रौशन करने वाले चहेरे
ऐसे ही ज़िन्दगी बिताते हैं
जिनके कमरों में ना खिड़की होती है
ना दहलीज़ से बाहर कदम रखने को उम्मीद
एक उम्रकैद की सज़ा होती है और कुछ नहीं..

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19 SEP 2021 AT 22:14

बेपनाह कोशिशों के बावजूद भी
कोई और चहेरा नज़र नहीं आता
सिवाय उस एक चहेरे के
अक्सर सोचती हूँ
तनहाई उसके बिना बेगैरतों सी लगती है...
काश, अकेलापन भर जाता
एक याद भर से
मग़र नजाने कितनी ही यादें
संजोए रखे हैं इस दिल में...

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19 SEP 2021 AT 18:32

नवी पिढ़ी म्हनायला किती सोपं वाटतं ना
खरं तर या नव्या पायदाना पर्यंत पहोचायला
किती विद्रोह करावे लागले कोण जाने,
किती जन घरा बाहेर गेले जे परत आलेच नाहीत
किती जनांनी आपलं आयुष्यं दुसर्यांसाठी घालवले
नवी पिढी एक टैग आहे जे आजच्या युवांना
मागील पिढी कधी कधी टोचून बोलतात
नवी पिढी जी पिढी जेंडर चा फरक करत नाही
म्हणून त्यांना खूप काही ऐकावे लागतं
तरी ही नवी पिढी श्वास घेते स्वातंत्र्याचा
गुदमरून मरण्यापेक्षा दूर्लक्ष करते
व्यर्थ च्या टोंबन्याना....

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22 AUG 2021 AT 22:22

तेरे हाथों की कलाईं पे मैं रेशम का धागा नहीं बांधती
मैं अपना विश्वास बांधती हूँ मेरे भाई
कि जब मैं नज़र उठाऊँ तो मुझे दूर तलक नज़र आए मेरा मायका
कि तु रहे सदा बना मेरे संग मेरे मायके का आंगन खिलखिलाता रहे
तेरा मेरा रिश्ता एक खून, एक कोख़ से जन्मा है
तोड़े नहीं टूटने वाला, अटूट, मेरे मृत्यु के बाद भी
मेरी आख़री साँस के बाद भी बना रहेगा भाई बहन का रिश्ता
इस रेशम के धागे को रोली - चंदन से टीक कर हमने रक्षासूत्र समझ बांध दिया है
तु मेरे सुख दुःख में रहे ना रहे लेकिन तेरी हर बलाएँ मैं ले लूं
यही दुआ हर बार निकले दिल से..,

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27 JUL 2021 AT 11:38

याद है ना तुम्हें !
मेरा तुमसे हर बात पर रूठ जाना
और तुम्हारा हर बार मुझको मनाना
तुमने आखरी बार कहा था
कि शायद हम बने ही ना हो एक दुसरे केलिए
थक गया हूँ तुम्हें समझाते मनाते
मग़र यकिन करो उस आख़री दिन तक
तुमने मुझे गढ़ दिया था उस कुम्हार के भाॅ॑ति
जो मिट्टी के बर्तनों को गढ़ता है
उस आख़री पल में मेरा रूठना, मेरे नख़रे
मेरा बड़बोला पन, मेरी मासूमियत,
तुम्हारे लिए मेरे दिल में दुनिया भर का प्यार,
मेरी बेपरवाही, मेरा दुनिया से मतलब ना होना
सब किसी नदी या समंदर के किनारे आकर ठहर गए हों..
देखो, अब मीठी खट्टी हर तरह के झगड़ों से बचती हूँ
अब मैं परवाह करती हूँ हर रिश्ते की
मुझमें अब नखरे नहीं बचे, अब मैं धूप-छाॅ॑व-बारीश
किसी भी अवस्था में मिलों चल लेती हूँ
शायद तुमने मुझे गढ़ते गढ़ते बहुत बड़ा बना दिया
कि अब खुदकी परवाह ही नहीं करती
करती हूँ तो बस् अपने इर्दगिर्द के लोगों की..
क्या प्यार किया था तुमने मुझसे या फिर मैनें तुमसे???
#love_dairy_beyondlove_panktiyaan

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26 JUL 2021 AT 6:58

विरोध करना प्रत्येक बार क्रांति नहीं होता
कई॑ दफ़ा विरोध विद्रोह का काम भी करती है
जिस कारण सामंजस्य तो पनपता ही नहीं
उत्पन्न होता है तो द्वेष, जन्मता है शत्रुत्व...

प्रेम परिकल्पना के सागर सा लगता है
गहरा समंदर, जिसमें डूबना
सबको अच्छा लगे यह ज़रूरी नहीं
द्वेष समंदर में आए तुफानी लहरों सा होता है
अपने साथ साथ व्यक्ति का संबंध बहा ले जाता है
ज्वालामुखी के लपटों सा रिश्तों को खाक़ कर देता है...

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23 JUL 2021 AT 8:02

हम सोचते हैं सब अपने हैं मग़र यह हकीकत है
कि हर कोई आपकी तरह नहीं सोचता
हम कई बार दूसरों की जगह खुदको रखकर
उन बातों का हल निकालते हैं
मग़र हम यह भूल जाते हैं कि
उनकी जगह हम कभी हो ही नहीं सकते
हमारा हम तक होना उनका उन तक होना
विधाता का विधान है
ना दूसरा कभी हम जैसा हो सकता है
ना हम दूसरे की तरह
हमारी सोच बूझ मिलती भले ही हो
फिर भी एक दूसरे से महीन से धागे की तरह अलग होते हैं
तभी तो हम हम होते हैं ,वह और होते हैं....

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14 JUL 2021 AT 18:04

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