याद है ना तुम्हें !
मेरा तुमसे हर बात पर रूठ जाना
और तुम्हारा हर बार मुझको मनाना
तुमने आखरी बार कहा था
कि शायद हम बने ही ना हो एक दुसरे केलिए
थक गया हूँ तुम्हें समझाते मनाते
मग़र यकिन करो उस आख़री दिन तक
तुमने मुझे गढ़ दिया था उस कुम्हार के भाॅ॑ति
जो मिट्टी के बर्तनों को गढ़ता है
उस आख़री पल में मेरा रूठना, मेरे नख़रे
मेरा बड़बोला पन, मेरी मासूमियत,
तुम्हारे लिए मेरे दिल में दुनिया भर का प्यार,
मेरी बेपरवाही, मेरा दुनिया से मतलब ना होना
सब किसी नदी या समंदर के किनारे आकर ठहर गए हों..
देखो, अब मीठी खट्टी हर तरह के झगड़ों से बचती हूँ
अब मैं परवाह करती हूँ हर रिश्ते की
मुझमें अब नखरे नहीं बचे, अब मैं धूप-छाॅ॑व-बारीश
किसी भी अवस्था में मिलों चल लेती हूँ
शायद तुमने मुझे गढ़ते गढ़ते बहुत बड़ा बना दिया
कि अब खुदकी परवाह ही नहीं करती
करती हूँ तो बस् अपने इर्दगिर्द के लोगों की..
क्या प्यार किया था तुमने मुझसे या फिर मैनें तुमसे???
#love_dairy_beyondlove_panktiyaan
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