धरती माँ के आँचल में सुरक्षित जग सारा ये किसने चुनरी को धूमिल कर डाला चलों सजा दें फिर माँ की धानी चुनरिया सब एक एक पौधा लगाएं, धीमे धीमे बुझती सांसों को बचाएं जंगल बचाएं, पेड़ों को दोस्त बनाएं पर्यावरण साक्षरता का सन्देश फैलाएं धरित्री के आंचल में जीवन... फिर से प्रफुल्लित हो जाए
ये किसकी ख़नक का जादू है तथ्य अचानक बदल जाते है जो अब तलक मुज़रिम थे अचानक देवता बन जाते है सुर्ख सुर्खियां पिघल जाती है खबर अचनाक हैडलाइन से गिर जाती है सच फाइलों में बंद हो जाता है झूठ तन कर नए मंच पर चढ़ जाता है