घर में ज़िन्दगी बहा करती है
मकान तो सन्नाटो की कहानी है
ईट पत्थरो के मकान प्रचलन में है
फिर पंछी क्यों तिनको से घर बुनते है
धर्मशालाए,होटल भी आसरा देते है
फिर घर ही आखिरी ठिकाना क्यों है ?
मिलते तो अनेक साथी है जीवन में
घर की बगिया के रिश्ते अहम् क्यों है?
मकान तो सभी बना सकते है
घर की चाहत तब भी बाक़ी क्यों है ?
- Manjula Shaah