रेशमी साया
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जिसको नीम चखाते थे
उसकी आस पर बैठे हैं
जिनको शहद चखाते थे
उनको ढ़ककर रखती हैं
वो अक्सर परदे में रहती है
परतो में जब वो खुलती है
विष का बाण चलाती है
कानों पर आघात पहुंचाती है
मासूम सी शक्ल बनाकर
रिश्तों से खेला करती है
- Manjula Shaah