अपने शब्दों को यहां ढालती हूं मैं
ना जाने कितने शौक पालती हूं मैं |
धीरे धीरे सीख रही हूं
एक ख्वाब को
एक राह पर
एक शक्ति से
कैसे मुक्कमल किया जाता है |
ये वक्त ही मुझे पल पल सीखा रहा है
किसी की राह में मत बैठना
क्योंकि अगर बैठ गए
तो " राह " को बनाएगा |
जैसे की पहले का वक्त शौक में निकल गया
वैसे ये भी निकल जाएगा |
एक बार ही अवसर मिलता है
खोई हुई इस दुनिया से निकलने का
बार बार कोई रास्ता दिखाने नही आएगा |
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फ़ासला इतना न था
जितना बनाए जा रहे हो
क्यों तुम दिल ही दिल में
मुझे भुलाए जा रहे हो
माना की हो गई है भूल
पर ऐसे क्यों खुद को
अंदर ही अंदर तड़पाए जा रहे हो
बात इतनी भी नहीं बिगड़ी
की सुधारी ना जा सके
हम इतने भी गैर न हुए अभी
की पुकारे ना जा सके
आओ इन उलझनों को मेट दे
ये फ़ासलों को कम कर
एक दूसरे को विश्वास की एक नई भेंट दे-
रुकना नहीं था मुझे,
जाने क्यों रोक रहे हैं लोग,
हर रास्ते पर टोक रहे हैं लोग ।
जी लेने दो मुझे मेरी ज़िंदगी ,
ये सबसे ज़्यादा मेरी सगी है,
जैसे तुम्हें मिली है वैसे ही मुझे मिली है ।
ज़माने ने पहले भी बहुत रोका है हमें,
दोनो घरों के बीच वैसे भी हम पूरे कहीं नहीं हैं,
मुझे खुद ही खुद में तो पूरा होने दो ।
रुकना नहीं था मुझे,
ना ही अब रुकना चाहती हू कहीं,
ये मेरी छोटी सी ज़िंदगी ,इसे जीना चाहती हूं अभी ।
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ऐ प्यार भरे दिल,किसी एक प्यार से तो जाकर मिल
पता चलेगी तुझे भी तेरी एहमियत,किसी से दिल लगाकर तो देख ।
हमे धोखा मिला है हमारा दिल टूटा है वाले एकान्त दिल बहुत मिलेंगे इस दुनिया में
लेकिन इस एकांत दिल के लिए भी कोई एकांत दिल इंतज़ार कर रहा है उनकी कहानी पूरी करने के लिए ।
सच्चे मन से सिर्फ एक सच्चा मन ही मिलेगा,और वो तुम्हारे सबसे ज़्यादा सुकून देने वाले पलो में से एक होगा।
सब बोल रहे हैं प्यार भरा महिना चल रहा है,तो टूटे हुए दिलो को जोड़ो और वो ना जुड़े तो आगे बढ़ो और खुद से प्यार करो दोस्तों।
प्यार करने के लिए ज़िन्दगी पड़ी है , लेकिन जिनी तो अभी से शुरू करनी पड़ेगी।-
वो मेरे साथ होते हुए भी साथ नहीं,
वो मेरे पास होते हुए भी पास नहीं।
ये कैसी उलझन ये कैसी मजबूरी है,
क्यों ये दूरी मुझे सताती पल-पल है।
ना जाने कहां खो गए वो वादे वो पल,
ना जाने कब लौटेंगे वो बीते हुए कल ।
मैं नहीं जानती क्यों मैं ऐसा महसूस करती हूं,
शायद मैं इसी सच्चाई को अपनाने से डरती हूं।
कैसे मैं मान लूं की यही सच्चाई है,
भूल जाती हूं सब कुछ तुम्हें देख कर ऐसी तुम्हारी अच्छाई है ।
वो मेरे साथ होते हुए भी साथ नहीं,
वो मेरे पास होते हुए भी पास नहीं।-
ये बच्चे जो आते हैं कंधों पे बोझ लिए हर सुबह,
ये बच्चे जो शोर मचाते हैं यूं जैसे लड़ते हो कोई जंग हर सुबह,
ये बच्चे कभी हो जाते हैं इरीटेट तो कभी मुस्कुराते हैं बेधड़क लेक्चर में,
ये बच्चे कभी हो जाते हैं पर्सनल कभी कभी हमारे डांटने पर लेक्चर में,
भूल जाते हैं ये बच्चे शायद हमारे टीचर्स भी कभी स्टूडेंट्स रहे थे
की हमारे टीचर्स भी कभी ऐसे ही शरारती रहे थे
की हमारे टीचर्स भी वही सलाह देते है हमें जो कभी उन्हें मिली होगी,
की हमारे टीचर्स भी वही राह दिखाते है जो हमारे लिए सही होगी,
ये बच्चे जो आते हैं कंधों पे बोझ लिए हर सुबह,
ये बच्चे जो शोर मचाते हैं यूं जैसे लड़ते हो कोई जंग हर सुबह
ये बच्चे प्यारे बच्चे....🙂-