सबको किए का दंड मिलता है
मैं सब कुछ देखता है
पाप और पुण्य का हिसाब रखता है
कहां तो जाता है पर
ऐसा लगता नहीं-
खुशियां ना दे, आराम न दे, नाम ना दे
पर चलने तो दे ए जिंदगी
बार-बार ठोकरों से गिरा न दे
यही गुजारिश थी जिंदगी से— % &-
घर
सर्दी, नींद और थकान से मैं बहुत तंग हूं
देदी मुझे पनाह ऐ घर तेरी एहसानमंद हूं-
चुपचाप देखता है कुछ नहीं कहता है
चांद एक दोस्त की तरह मेरे साथ साथ चलता है-
सबके लिए समझना है मुश्किल
क्या होती है भूख
सम्मान की, प्रेम की, देखभाल की
अनाज की और रोजगार की।-
वह फूल जो हर जगह खिलता नहीं
कितना भी चाहो पर हर किसी को मिलता नहीं
इसके लिए बनाए हैं विधाता ने कुछ देवता
भाग्य का फूल है जिनके शीश पर-
सफर है रातभर का बहुत बोझ है मनपर
आशा,निराशा,चिंता ,नींद और अनिद्रा
कैसे भी हो रात तो कट ही जायेगी
बस सफर है यह रातभर का-
अब किस से क्या कहूं मैं
क्योंकर करूं शिकायत
किसीकी खता नही है
बस वक्त से ही है कहना
क्यों भला रहे खफा
मेरे अपने नही हुए तुम।-
अपनों का दूर जाना
दिखावटी मुस्कुराना
उनको न भूल पाना
अकेले समय बिताना
कौन चाहता है?-