Manju Shrivas   (Manju Shrivas)
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विचारों और भावों को शब्दों में अभिव्यक्त करना ही मेरा प्रयास होता है 😊
Joined 12 May 2020


विचारों और भावों को शब्दों में अभिव्यक्त करना ही मेरा प्रयास होता है 😊
Joined 12 May 2020
21 DEC 2021 AT 10:22

कौन भरेगा रिश्तो के दम
देगा तुझको कौन दगा
छोड़ झमेले दुनिया के सारे
मन के सागर में डुबकी लगाll

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21 DEC 2021 AT 10:15

लाख परतें चढ़ती रहे मुश्किलों की चाहे
शर्त यह है कि तुम अपना अस्तित्व ना खोना संगत कोयले की हो, या पीतल की,
यकीनन,
चमक ही जाता है, हीरा और खरा सोनाl

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8 NOV 2021 AT 11:27

पर्व का उपहार
जल गए दीप घर उजलो से भर गया।
नव उत्साह पर्व का, नए खयालों से भर गया।।
बिखरे थे दूर-दूर,अपनों से हुई नज़दीकियां।
पसरा था सन्नाटा, मिलने से घर सॅवर गया।।
खिलउठे चेहरे सभी के बच्चे बूढ़े और जवा। कुछ वक्त खुशियां ही सही,वक्त जैसे ठहर गया।।
झिलमिलाते दीप मीठी मुस्कान और मिठाईयां,
कल से आज तक मैं माहौल कितना बदल गया।।
संपन्न हुए त्यौहार सब, अब दिनचर्या फिर वही,
खुशनुमा माहौल आकर यादों की गठरी भर गया।।

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13 OCT 2021 AT 23:29

"आदिशक्ति दुर्गा"
व्यथित हो गया मानव जब,असुरों के अत्याचार हुए। मानव ही क्या देवलोक भी, अक्षम और लाचार हुए।।

हल खोजने इस उलझन का,सब ब्रह्माजी केद्वार चले। विकट समय में मिल बैठकर,कोई उपयुक्त विचार मिले

दैत्य राज का अंत सुनिश्चित, कुंवारी कन्या के हाथों से। करना होगा तेज समाहित, सब देवों के प्रयासों से।।

देव गणों के अंश मेल से, देवी कन्या का जन्म हुआ। शक्ति रूप हुआ प्रकट, जब हरदेव तेज का मेल हुआ।

शिवतेज से दमका माथा, विष्णु तेज से बनी भुजाएं। ब्रह्म तेज से चरण कमल, और यम तेज से केश जटाएं

संपूर्ण देह पर देवों का तेज, फिर भी रहीशक्तियांअपूर्ण भुजा अट्ठारह अस्त्र-शस्त्र भर, विराटरूप हुआ संपूर्ण।।

देख विराटरूप जगदंबा, असुरों ने खलबली मचाई।
कर विनाश दैत्यवंश का,आदि शक्ति खुशहाली लाई।।

मंजू श्रीवास (स्वरचित)

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6 OCT 2021 AT 19:51

मन उज्जवल हो तो जीवन से अंधेरा खुद-ब-खुद मिट जाता है।

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2 OCT 2021 AT 19:45

बुजुर्ग सास ससुर की सेवा का आनंद यह सोच कर दुगना हो जाता है, कि हमारी भाभियां भी हमारे माता-पिता की सेवा में अपना भरपूर योगदान दे रही है।।

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2 OCT 2021 AT 7:55

'वैष्णव जन तो तेने कहिए'
' रघुपति राघव राजा राम'
प्रिय भजन जीवन भर गाए
अंतिम शब्द भी निकला "है राम"।

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30 SEP 2021 AT 10:20

असली खुशियां तो तभी आती है ,
जब मुश्किलों का दौर देखा हो।
आजादी की चाहत भी तभी होगी ,
जब बंदिशों की गहन रेखा हो ।।
कब तक किस्मत को दोष देते रहोगे ?
दर्द के दरिया में दुख की नाव खेते रहोगे ?
अंतर्मन में पल रहे राग द्वेषों से मुक्त करो स्वयं को... बाहर आओ... हिम्मत जुटाओ....!
मुश्किलों से खुद को जूझना सिखाओ।
प्रकृति को देखो हर मौसम की मार खाई है,,,,,
कितना प्यारा मौसम है,
आज , सूखे के बाद हरियाली छाई है।।

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29 SEP 2021 AT 9:20

भोर की बेला में जब,
पंछी चहचहाते हैं ।
सुगंधित सराबोर हवाएं सरसराती हैं।
नव स्फूर्ति भरने को रवि रश्मियां इठलाती हैं ।
स्याह रातों की बेडियों से ,
मानुष खुद को आजा़द पाता है ।
गुनगुनी धूप में मन मचल - मचल जाता है।
निर्धारित लक्ष्यों को नई दिशा इंगित है।
विगत सत्कर्मों का सुफल आज निश्चित है
बन के पुष्प जब कली खिलखिलाती है
तो हर सुबह मानो कुछ नया लाती है।।

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28 SEP 2021 AT 12:28

भुला चुके स्याह रातों से गम ।
सुखा चुके अश्कों के समंदर ।।
मिट गए ज़ख्म-ए- इश्क ए आशिक तेरे।
जब देखा सुबह का प्यारा प्यारा मंज़र।।

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