मेरी जिंदगी एक सागर की तरह है,
हर दिन हर शाम होने वाली वहां की चहचहाहट की तरह है।
लेकिन थोडी ठहरी है शायद,थोडी थमी सी है ।
वहां की रेत पे चलते हुए जो कदम के निशान जम जाते हैं, वैसी सी है ।
हवा आए रेत पे पड़े कदम जैसे छुपे,
वैसे ही जिंदगी थम कर भी बस आगे बढे।
नदी किनारे पंछी की चहचहाहट शायद मेरी हंसी है,
सागर से दूर तक देखते रहना,
शायद मेरा मंजिल को पाना है।
हल्की सी ठंडी में सागर किनारे धूप का छाना,
जैसा तुम्हारा आना है।
लहरों का आके मुड जाना, जैसे मेरे बहुत से ख्वाब हैं।
ये समुंदर की गहराई, शायद मेरे सारे राज है।-
स्वतंत्र देश में भी वापसी घर नहीं आ पाई वो,
मैं तो लोगो को बचाने वाली हूं, कहती थी जो ।
देश आजाद है फिर भी अगली सांझ वो इसमें देख नहीं पाई,
माँ ने समय देखा होगा, मगर वो वापस ना आई ।
ऊपर से तो सब आजाद है,
मगर अंदर से कब ही होगा ?
एक इंसान बहुत हैवान है,
वो बस इंसान कब ही होगा ?
क्या मैं या तुम कभी इंसान बन पाये है,
क्या हम सब के अन्दर जानवर के साये हैं?
अगर नहीं तो यह हैवानियात क्यूं है,
या अगर हम सिर्फ इंसान हैं तो सड़क पर पड़ी वो । अकेली करहाई क्यों है?-
मैं नहीं मानती कि कोई औरत को पूरी तरह से समझ सकता है,
एक औरत को हर जगह से कोई परख सकता है ।
वो प्यार करे तो समुंदर की गहराई को पीछे छोड़ दे,
जिस दिन नजर से उतार दे, बुंद मात्र उसमें कुछ शेष ना रहे ।
वो ममता दिखाये तो जगत का प्यार भी फीका उसके सामने,
वो दुश्मनी पे आये तो एक पल के लिए ना रुके राह मैं ।
एक ओरत को सिर्फ कोई औरत ही समझ पाई होगी,
उसमे कितना गहनताहै सिर्फ वही जान पयी होगी ।
पुरुष को जितना उलझा दिखाया है वो उतना सुलझा है शायद,
या औरत जितनी सुलझी, उतनी उलझी है शायद ।
मेने माँ को घंटो खुदसे लड़ते देखा है,
और मैंने माँ को ही, घर में सबसे चुप देखा है ।
मैं नहीं मानती कि तुम एक औरत को जान सकते हो,
मैं नी मानती कि तुम उसे पूरी तरह से पहचान सकते हो ।।-
दूर नदी कहीं पहाड़ों मे बिछी,
आस मन में निहारने की उठी।
मैं दूर कहीं आंखें खोल सोचूं,
कैसे वहां पहुंचे, या कैसे अपने मन को रोके।
मन रुकने से रुके ना,
हो ये शांत जब ले सब कुछ पा ।
मन की खातिर भटके दर दर,
ना पायें वो नदी कहीं पर ।
ना ढूंढ बस एक नदी को,
उड़जा आसमान मे (मन की गहराइयों के अन्दर)। ढूंढ़ मन की ख़ुशी को,
नदी दिखेगी ऊपर से, फिर भी लगेगी ख्वाहिश अधूरी,
दूर ऊपर उड़़ जाना तब दिखेगी अपनी दुनिया पूरी।
फिर लगाव न रहेगा उन भरी नदियों के लिए,
अपने अन्दर मिलेगा सब सदियों के लिए।-
उन्हीं काले पहाड़ों के पीछे,
बरसात की तेज धारा के नीचे।
दिल के अहसासों के साथ,
मिलेंगे वहीं कहीं, और होगी वो हजारों बात।
कुछ बातें वक्त बता देगा, कुछ तुम सुना जाना।
दुनिया तो चलती रहती है हमेशा, तुम उस दिन वक्त के साथ थोड़ा ठहर जाना ।।-
ये दुनिया जो कभी न सुन पाए,
तेरी चुप्पी की ,मैं वो बात हूं।
मेरे साथी, तू कभी मुरझाना नहीं,,
मैं मोन रह के भी हमेशा तेरे साथ हूं।-
सुबह की एक किरण, एक पूरी जिदंगी के समान है,
क्योंकि वो दिखाती हजारों अरमान है !
धरती पे उसके पड़ते ही, एक नया दिन निकल जाता,
उसको देख ये राही चले, और मिटी में दबे पत्थर हटाता। ( हजारों सवाल).
उस उजाले से दिन की चीजे खिलती,
हर दिन एक नई मेरी पहचान मुझे मिलती।।
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कुछ रिश्तों दिलों के कितने ही सच्चे,
लेकिन फिर भी रास्ते उनके अलग ही अच्छे।
मेने अपनी हर कोशिश की,
जहां तक हो सका , वहां तक निभाया साथ।
जहां तक दिखा अंधेरा रही साथ, बिना किसी बात।
अब तुम उस काबिल हो की आगे बढ़ सको खुद से
तो यही समय है, अलविदा कहदो मुझसे।
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