Manju Dudi   (Manजु duडी❣दिल की कलम से)
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Joined 3 January 2018


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Joined 3 January 2018
20 JUN AT 10:50

हम इंतजार करते है उनके आने का बेसब्री से और
इक वो है कमबख्त जो बंटवारा जमि का कर के बैठे है।
कोई सरोबार नही उनको हमारे ग़मों से
रिश्ता स्वार्थ का वो हमसे जोड़कर बैठे है।
क्या करे ऐसे रिश्तो का भी हम ?
जो हमारी खुशी मे नही ,हमे गम मे देखकर खुश होते है

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14 JUN AT 11:36

मैने सौप दिया लाड़ली अब तेरे हवाले खुद को
सँवारे या बिगाड़े सब तेरी मर्ज़ी,
जो तु चाहे स्वीकार मुझे
🙏🌹जय श्रीकृष्ण राधे राधे🌹🙏

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11 JUN AT 18:02

ए-सखी मै तुझसे बात कर हर गम भुल जाती हु।
पर सुन कर तेरे गम फिर गमगीन हो जाती हु
ये कैसा रिश्ता है रे तेरा-मेरा कि दुर होकर भी
इक दुजे में रहते है?
जो रोए तू तो ऑखे मेरी नम होती है
उदास देख मुझे तु भी तो खूब रोती है
दिल की दिल से कह कर सूकून पाती हु ।
पर तन्हा होकर दीवारो को निहारती हु
उम्र के इस पायदान पर देखकर चारो ओर
संग सबको,सबके साथ मै खुद को तन्हा पाती हू
ए-सखी तु कब तक मेरी तन्हाई मे मेरा साथ निभाएंगी?
किसी रोज तु भी तो परिवार की जिम्मेदारीयो मे व्यस्त हो जाएगी।
और मै तन्हा -तन्हा सी जिंदगी बिताऊगी......

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7 JUN AT 13:01

दिल का दर्द ऑखो से ब्या हो जाता है तब
जब तन्हाई घेर लेती है अकेले मे कभी

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2 JUN AT 13:20

कुछ तो नेकीयाँ रही होगी तेरी मेरी ए-दोस्त
जो मुझे तु और तुझे मै मिली 🫂

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31 MAY AT 12:47

उम्मीद लिए चलते है फिर ना उम्मीद हो जातें है
ए-जिंदगी अब तु ही बता कि तेरे साथ ,
अब कैसे कदम से कदम बढ़ाए?
राहे मुश्किलो से भर दी है तुने
अब तु ही बता कैसे जीवन न्नया को पार लगाए?
जीतने की ख़्वाहिश मे हर बार हार जाती हु
खुशियो को बाहो मे समेटने को मचल जाती हु
अब तु ही बता ए-जिंदगी कैसे दुनिया को जी कर दिखाए?
कैसे अधुरी सी जिंदगी बिताए
कैसे गम को समेटे हुए मुस्कुरा के दिखाए
अब तु ही बता ए-जिंदगी..........?
कैसे ....?

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24 MAY AT 8:50

ख़्याल दोस्ती का अच्छा था की चलो हम किसी का दर्द बांट पाए ,पर बात जिस्म की करके उसने हमे बैख़्याल कर दिया।

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20 MAY AT 10:18

रह-रहकर गुजरती जा रही है जिंदगी
अश्को को ऑखो मे लिए
मुस्कुरा रहे है दुनिया की नजरो मे
भीतर क्या सैलाब उठा है
ये हम ही जाने .....

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15 MAY AT 14:49

मोहब्बत मे फिर से हार जाने को जी चाहता है
अंतिम सांस भी निकले उनकी ही बाहों मे
यही तम्मना लिए मरने को जी चाहता है
कशिश प्यार की है ?
या ये उनके साथ होने का गुरूर है
इसी गुमान मे जिंदगी गुजार देने को जी चाहता है।

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15 MAY AT 14:49

मोहब्बत मे फिर से हार जाने को जी चाहता है
अंतिम सांस भी निकले उनकी ही बाहों मे
यही तम्मना लिए मरने को जी चाहता है
कशिश प्यार की है ?
या ये उनके साथ होने का गुरूर है
इसी गुमान मे जिंदगी गुजार देने को जी चाहता है।

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