जो भी मिले राह में,
चल लेना सँग सबके...
शायद निभा जाए अंत तक
साथ तुम्हारा,
मग़र कोई हाथ न हो थामने को,
तब मुझे हाथ देना।
सारी दुनिया सुनेगी,
मधुर आवाज तुम्हारी,
मग़र जब उम्र ढलने लगे,
आवाज लड़खड़ाने लगे,
कोई न हो सुनने को ,
तब मुझे आवाज देना।
चढ़ते सूरज को सब सलाम करते हैं,
सब बेकरार हैं,
सुनने को किस्से, गिले, शिकवे, शिकायतें,
सुख दुख, हंसी, सब कुछ...
जब सारी दुनिया इनकार कर दे
तब अपने सारे दर्द मुझे बता देना।
क्योंकि शुरुआत नहीं,
शायद अंत मे मिलूंगा हमेशा,
धरती के अंतिम छोर पर भी अगर मिलूं,
तो हक है तुम्हारा, जता लेना...
-