वो भी क्या वक़्त था जब तुम पास होते थे तुम ही दिन और तुम ही रात होते थे इन होंठों की मुस्कुराहट होते थे खुशियो की आहट होते थे लेकिन अब आंखों के पर्दे नम हो गये हैं बातों के सिलसिले भी कम हो गये हैं पता नहीं गलती किसकी है वक़्त बुरा है या बुरे हम हो गये हैं
चलो कुछ इस क़दर दूरियां बनाते है आज घर में बैठ के कुछ ज़िम्मेदारियां निभाते हैं हमारे साथ रहने से ज्यादा जरूरी हमारा इस दुनिया में होना जरूरी है दुनिया का दस्तूर भी कुछ यही कहता है कि कुछ पाना है तो कुछ खोना ज़रूरी है।।।
मैं तुमसे नहीं कहता कि तुम्हारी आंखों में आसूं नहीं देख सकता तुम रो पर मेरे गले लग के क्युकी जज़्बात बहुत कीमती होते हैं मुझे तुम्हारे एक- एक आसूं का भी हिसाब चाहिए।।,😘
अब बस दोस्तों में ही खोया रहता हूं कहीं मन न बदल जाए इसलिए फोन भी खुद से दूर रखता हूं। हां माना कि तेरी फोटो है मेरे फोन मे लेकिन वो भी टाइटैनिक जहाज की जैसे है जिसका वजूद होने की संभावना तो है लेकिन बाहर आने की नहीं।।।