Manjeet Anand   (Manjeet Anand)
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मैं असीमित अपरिमित अथाह हूँ...मैं विचार नहीं. .... भाव हूँ...
Joined 23 April 2017


मैं असीमित अपरिमित अथाह हूँ...मैं विचार नहीं. .... भाव हूँ...
Joined 23 April 2017
1 APR AT 22:45

जवाब देना जरूरी नहीं लगता
कोई सवाल अब चुभता नहीं लगता
बहुत अच्छी लगने लगी है दुनिया मुझे
दुनियादारी मैं अब मन नहीं लगता
जो जैसा है वैसा ही है
मन को कोई अब बुरा नहीं लगता
ये पसंद ना पसंद का दौर कब का खत्म हुआ
सब हकीकत है कुछ भी सपना नहीं लगता ...M.A.

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15 FEB AT 11:18

हम जले हैं इश्क को छूकर
और
हुए खाक इश्क को तौबा कर
...M.A.

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9 DEC 2024 AT 13:04

तेरी छांव से निकले
तो पता चला
कि.....
धूप कड़ी नहीं होती
गुनगुनी भी होती है
...M A.

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28 NOV 2024 AT 13:19

किसी का सपना है इश्क ,
कोई सपने में देखे है इश्क ,
जो निकल आए कोई सपनों से...
तो फिर ढूंढे ना मिले इश्क,
हमने तो खुद ही इश्क को सपनों में जाते देखा है
जो हो हकीकत तो फिर वो काहे का इश्क....
M.A

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26 NOV 2024 AT 15:33

सबसे सुलझी हुई
ढलान पर चलोगे...
मैं उम्र की ढलान में हूँ
साथ चलोगे ??
...M.A.

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6 SEP 2024 AT 14:48

हर दूसरे तीसरे दिन तीज होनी चाहिए
केवल मेरी नहीं कुछ तेरी भी रीत होनी चाहिए
जिस कीमत पर उम्र मिलती हो
उस कीमत की परवाह होनी चाहिए
कुछ भाग्य सौभाग्य वाली बातों की भी
दुकान होनी चाहिए
फिर मिलकर बैठेंगे चौथे दिन
उस दिन
नफा नुकसान वाली किताब होनी चाहिए
हर दूसरे तीसरे दिन तीज होनी चाहिए ....M.A.

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2 SEP 2024 AT 9:38

लोगों की मुझमे दिलचस्पियां बढ़ती जा रही है ,
इसमें हाथ मेरी खामियाॅ गिनाने वालों का तो नहीं,
चर्चा यूं आम तो किसी का होता नहीं मेज़ो पे ,
खुराफात कोई इसमे मेरे रकीबो की तो नही ,
हर कोई देखता है अब तिलस्मी नजर से,
कहीं हर शख्स मुझमें खुद को ढूंढता तो नहीं.।।
..M.A.

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18 AUG 2024 AT 16:59

केवल प्रेम स्नेह विश्वास ही नहीं बांधूंगी
सवाल भी बांधूंगी मेरे भैया
बताओ ...
बाॅधवाओगे ना ....राखी ।।
M.A.

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18 AUG 2024 AT 16:52

कहीं कोई बलात्कारी तो नहीं
कहीं कोई वहशी दरिंदे तो नहीं
बलात्कारियों वाले दल में तो नहीं
दरिंदों की टोली में तो नहीं
उनके समर्थकों में तो नहीं
उनके जैसे तो नहीं
हॅ हॅ ..... न न .. नहीं ना
तो आओ....
राखी से सजाऊॅ तेरी कलाई
और ....
हो सकूं गौरवान्वित...
कि तुम हो मेरे "भाई" ।।।
M.A.

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14 JUN 2024 AT 13:53

हर कोई
उधार की साँस में ही जी रहा है
न जाने
कौन किस-किस की साँस पर जी रहा है
हम सोचते हैं
कि मुझ में बस मेरी जान है
अंदर अंदर
न जाने कौन-कौन जी रहा है...M.A.

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