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माना कुछ अनकही- अनसुनी बात रह गई है,
तो फिर उसे रह जाने दो,
उम्मीद के चौराहे पर जो छूट गया ,
छूट जाने दो,
बेमानी रास्तों पर पड़े गड्ढे ,
अब भरने की जरूरत नहीं ,
जिस रास्ते अब जाना नहीं ,
उसके निशां चुनने की जरूरत नहीं ,
क्या करना है अब किसी के साथ अधूरे रहकर,
जब अंतिम मंजिल में खुद ही जाना है खुद को लेकर।।।।
M.A.
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देने वाले को कभी झुका नहीं देखा
और ...
लेने वाले को कभी तना नहीं देखा
जो आए झुक कर लेने
बेटी का हाथ बस उसे ही देना....M.A.-
कभी तुमने ना निभाई कभी हम निभा ना पाए
इश्क करके गुनाहों से कोई निकल ना पाए ...M.A.
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बतियाने के लिए सिर्फ तुम ही थोड़े हो
पेड़ है पौधे हैं पंछी हैं कुत्ते हैं गाय है दीवारें हैं तस्वीरें हैं.और ... बहुत कुछ
मेरी खुशी की वजह तुम ही थोड़े हो ....M.A.-
जवाब देना जरूरी नहीं लगता
कोई सवाल अब चुभता नहीं लगता
बहुत अच्छी लगने लगी है दुनिया मुझे
दुनियादारी मैं अब मन नहीं लगता
जो जैसा है वैसा ही है
मन को कोई अब बुरा नहीं लगता
ये पसंद ना पसंद का दौर कब का खत्म हुआ
सब हकीकत है कुछ भी सपना नहीं लगता ...M.A.-
तेरी छांव से निकले
तो पता चला
कि.....
धूप कड़ी नहीं होती
गुनगुनी भी होती है
...M A.-
किसी का सपना है इश्क ,
कोई सपने में देखे है इश्क ,
जो निकल आए कोई सपनों से...
तो फिर ढूंढे ना मिले इश्क,
हमने तो खुद ही इश्क को सपनों में जाते देखा है
जो हो हकीकत तो फिर वो काहे का इश्क....
M.A-
सबसे सुलझी हुई
ढलान पर चलोगे...
मैं उम्र की ढलान में हूँ
साथ चलोगे ??
...M.A.-