कुछ भी तो नहीं मांगा है तुमसे
सिवाय तुम्हारे वक्त के,
कुछ भी तो नहीं कहा है तुमसे
सिवाय अपने दर्द के,
पर लफ्ज़ों को तुम समझ ना सके
और मेरे एहसास शायद तुम्हें
मेरा दर्द बताने में नाकाम रहे,
पर कोई नहीं,अब कोई शिकवा गिला नहीं तुमसे
दर्द जो मिला वो भी तो मिला तुमसे,-
😘😘
एक चुटकी सिंदूर
सच में इस एक चुटकी सिंदूर की कीमत हर कोई नहीं जानता,
एक हंसती खेलती अल्हड़ सी लड़की को एक गंभीर और जिम्मेदार बना देता है ये एक चुटकी सिंदूर,
जिन मां पापा के साथ उसने इतने साल बिताए हैं उन्हें एक पल में पराया कर देता है ये एक चुटकी सिंदूर,
जिस घर के आंगन में वो खेली है उससे वो आंगन छीन लेता है ये एक चुटकी सिंदूर,
थोड़ी ज़िद्दी थोड़ी शरारती लड़की को एक दम से शांत बना देता है ये एक चुटकी सिंदूर,छोटी छोटी चीजों के लिए मां पापा से रूठने वाली वो जिद्दी लड़की को समझौता करना सीखा देता है ये एक चुटकी सिंदूर,
बहुत कीमती है ये एक चुटकी सिंदूर....-
कुछ दिनों से मन बहुत उदास है
इक अजीब सी आस में है
तू, जो हर वक्त मेरा साथ देने का दावा करता है,
तू भी छोड़ रहा अब मुझ पर से विश्वास है
हर वक्त कहता की तू समझता है मुझे
और हर बार तानों के पीछे पीछे
मुझे मेरी गलतियां गिनवा जाता,
वो गलतियां जो मैने की हैं
और कभी कभी वो भी
जो मैने कभी नही की,
कभी कभी दिल को सुकून देने
वाली तेरी ये आवाज,
मुझे एक झटके में सहमा जाती है,
जाने कहां मेरी मुस्कान एकदम
गुम जाती है,
तू कहता की तू मेरे दर्द को समझता है
और अगले ही पल तू मेरी हालत से
बिल्कुल ही अंजान सा लगता है,
तू मेरा तो है
पर मेरा नहीं लगता है
मेरा नहीं लगता है।।-
तुम्हारा साथ
जबसे मिला है साथ तुम्हारा
जीवन में है बस उजियारा
प्रेम का अर्थ समझ पायी मैं
रहे लहरों संग जैसे किनारा
जबसे मिला है साथ तुम्हारा ।
छाई इक हरियाली मन में
प्रेम का रंग भरा जीवन में
सूरज की अंगड़ाई के संग
हुआ सवेरा भी तन मन में
जबसे मिला है साथ तुम्हारा ।
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बड़े ही बेगैरत निकले जनाब हम
आपको अपना भी कहते रहे
और आपके हुए भी नहीं...
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कभी कभी लगता है बोल देना सही था उस वक्त पर क्योंकि कभी कभी हम अपनी चुप्पी से ही अपना वजूद खो देते,
शायद उन्हें भी जिन्हे हम ज़िंदगी भर खोना नहीं चाहते-
जब वो मेरे साथ था तो छोटी छोटी बातों में खुश हो जाता था,
उसे तो मेरे माथे लगी छोटी बिंदी से भी प्यार था,
वक्त ने सब बदल दिया
उसके जज़्बात और
उसकी पसंद भी...-
आखिर किस बात की सजा दी तुमने
मोहब्बत में मुझे क्यों दगा दी तुमने
चाहा था तुझसे साथ सिर्फ तेरा
मांगा था तुझसे मैंने थोड़ा सा सवेरा
फिर ये अंधेरा क्यों जीवन में भरा तुमने
हाथ पकड़ कर मेरा बीच राह छोड़ा तुमने
हो सके तो जवाब दे जाना-
तेरी बातों पर तब भी अपना
विश्वास कायम रखना
जबकि सच मैं जानती थी
मैं जानती थी की अब ये
रिश्ता तुम्हें बोझ लगने लगा है
मैं ये जानती थी की
अब मुझसे पीछा छुड़ाने लगे हो
मैं ये जानती थी की
अब तुम मुझसे नज़रे चुराने लगे हो
मुश्किल तो था..-
रंगों भरा ये अपना रिश्ता था
पर शायद ये रंग वक्त की मार
से फीके पड़ गए हैं
सुनो,
एक बार फिर मेरी ज़िंदगी
को अपने एहसास के रंगों
से भर दो ना,
ये रिश्ता फिर से रंगीन कर दो ना..
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